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अष्टम अध्याय
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गुण
अनुजीवी * भाव स्वरूप गुण जैसे- * ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य
प्रतिजीवी * अभाव स्वरूप धर्म * नास्तित्व, अचेतनत्व सूक्ष्मत्व, अमूर्तत्व
मतिश्रुतावधिमनःपर्ययकेवलानाम्।।6।। सूत्रार्थ - मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्ययज्ञान और केवलज्ञान ___- इनको आवरण करनेवाले कर्म पाँच ज्ञानावरण हैं।।6।।
ज्ञानावरण 5 ज्ञान को आवरण करने वाले 5 भेद
मति ज्ञानावरण
श्रुत अवधि ज्ञानावरण ज्ञानावरण
मनःपर्यय ज्ञानावरण
केवल ज्ञानावरण
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