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अष्टम अध्याय
चक्षुरचक्षुरवधिकेवलानां निद्रानिद्रानिद्राप्रचलाप्रचलाप्रचलास्त्यानगृद्धयश्च।।7।। . सूत्रार्थ - चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन और केवलदर्शन - इन चारों के
चार आवरण तथा निद्रा, निद्रा-निद्रा, प्रचला, प्रचला-प्रचला और स्त्यानगृद्धि - ये पाँच निद्रादिक ऐसे नौ दर्शनावरण हैं।।7।।
दर्शनावरण (प्रत्येक भेद के साथ दर्शनावरण' लगावें)
4 आवरण
5 निद्रा
चक्षु
अचक्षु अवधि केवल
निद्रा निद्रा-2 प्रचला प्रचला-2 स्त्यानगृद्धि *थकावट को * नींद पर | * शोक, श्रम, *खड़े-2,बैठे-2 * वीर्य शक्ति दूर करने | नींद मद से चलते-2 पुनः-2 विशेष होने से के लिए
उत्पन्न. नींद आए नींद में कठिन *गमन करते *नेत्रों को | * नेत्र कुछ * मुख से लार | कार्य करना हुए रुकना, | न उघाड़, उघाड़े हुए | आना, हाथ | * उठा हुआ बैठना, गिरना पाना | सोना, ऊँघना पैर चलाना | भी सोना
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