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140.
सप्तम अध्याय
अदत्तावानं स्तेयम्।।15।। सूत्रार्थ - बिना दी हुई वस्तु का लेना स्तेय है।।15।।
मैथुनमब्रह्म।।16।। सूत्रार्थ - मैथुन अब्रह्म है।।16।।
अब
बहिरंग (रतिजन्य सुख के लिए पुरुष-स्त्री की जो भी चेष्टा)
अंतरंग (ब्रह्म [आत्मा] में लीनता का अभाव) .
मूर्छा परिग्रहः।।17। .. सूत्रार्थ - मूर्छा परिग्रह है।।17।।
परिग्रह
अभ्यंतर (14) (आत्मा का परिणाम) -मिथ्यात्व -4 कषाय Lनोकषाय
बहिरंग (10) (बाह्य पदार्थ)
क्षेत्र-मकान सोना-चाँदी धन-धान्य दास-दासी -बर्तन-कपड़े
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