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सप्तम अध्याय
तत्स्थैर्यार्थ भावनाः पञ्च पञ्च।।3।। सूत्रार्थ - उन व्रतों को स्थिर करने के लिए प्रत्येक व्रत की पाँच-पाँच भावनाएँ
हैं।।3।।
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पाँच वतों की पाँच-पाँच भावनाएं
भावना - निरन्तर भाने योग्य ...
वाङ्मनोगुप्तीर्यादाननिक्षेपणसमित्यालोकितपानभोजनानि पञ्च।।4।। सूत्रार्थ - वचनगुप्ति, मनोगुप्ति, ईर्यासमिति, आदान-निक्षेपणंसमिति और
आलोकितपान-भोजन - ये अहिंसाव्रत की पाँच भावनाएँ हैं।।4।।
अहिंसा व्रत की भावनाएँ।
गुप्ति
समिति (यत्नाचार प्रवृत्ति)
(निवृत्ति)
वचनगुप्ति मनोगुप्ति ईयासमिति
(वचन को भले प्रकार रोकना)
(मन को भले प्रकार रोकना)
(चार हाथ
आगे की जमीन देख कर चलना)
आदान- आलोकित निक्षेपण पानभोजन (सावधानी (देख-शोधकर
पूर्वक सूर्य के प्रकाश उठाना- में भोजन रखना) करना)
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