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सप्तम अध्याय · हिंसाऽनृतस्तेयाब्रह्मपरिग्रहेभ्यो विरतिव्रतम्।।1।। सूत्रार्थ - हिंसा, असत्य, चोरी, अब्रह्म और परिग्रह से विरत होना व्रत है।।1।।
वत
निश्चय व्रत
व्यवहार व्रत (राग-द्वेषादि विकल्पों से रहित होना) (प्रतिज्ञा पूर्वक पाँच पापों के त्याग
विरति-निवृत्ति रूप नियम लेना)
- देशसर्वतोऽणुमहती।।2।। सूत्रार्थ - हिंसादिक से एकदेश निवृत्त होना अणुव्रत है और सब प्रकार से
निवृत्त होना महाव्रत है।।2।।
वत के प्रकार
अणुव्रत (हिंसादि से एकदेश निवृत्ति) - अहिंसाणुव्रत - सत्याणुव्रत - अचौर्याणुव्रत
स्वदार संतोष ब्रह्मचर्याणुव्रत L परिग्रह परिमाणाणुव्रत
महाव्रत (हिंसादि से पूर्ण निवृत्ति)
अहिंसा महाव्रत - सत्य महाव्रत - अचौर्य महाव्रत -ब्रह्मचर्य महाव्रत - परिग्रह त्याग महाव्रत
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