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षष्ठ अध्याय
आयु
नरकायु तिर्यंचायु मनुष्यायु देवायु बहुत (अधिक मायाचार *अल्प आरम्भ *स्वभाव की सरलता
और तीव्र (छल-कपट) *अल्प परिग्रह *सराग संयम(संयम के परिणाम)
*स्वभाव की साथ का राग)
सरलता संयमासंयम(त्रस और *बहुत आरम्भ
(सहज मंद स्थावर के प्रति क्रमशः (हिंसादि पाप
कषाय- संयम और असंयम) पोषक क्रियाएँ) बनावटी नहीं) *अकाम निर्जरा (बिना बहुत परिग्रह
इच्छा दुःख सहना) (ममत्व
*बालतप (अज्ञानता - परिणाम) ..
सहित आचरण) *सम्यक्त्व (मनुष्य और
तिर्यंच सम्यक्त्व के साथ देव ही होते हैं)
शील और व्रत का अभाव सभी आयु के आस्रव का कारण है।
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