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षष्ठ अध्याय
अधिकरणं जीवाजीवाः।।7।। सूत्रार्थ - अधिकरण जीव और अजीव रूप हैं।।7।।
अधिकरण (आधार)
जीव अधिकरण (जीव की पर्यायें)
अजीव अधिकरण (अजीव की पर्यायें)
आद्यं संरम्भसमारम्भारम्भयोगकृतकारितानुमतकषायविशेषै
स्त्रिस्त्रिस्त्रिश्चतुश्चैकशः।।४।। सूत्रार्थ - पहला जीवाधिकरण संरम्भ, समारम्भ और आरम्भ के भेद से तीन
प्रकार का, योगों के भेद से तीन प्रकार का, कृत, कारित और अनुमत के भेद से तीन प्रकार का तथा कषायों के भेद से चार प्रकार का होता हुआ परस्पर मिलाने से एक सौ आठ प्रकार का है।।8।।
जीव अधिकरण
*माया।
* संरम्भ | *मनयोग | * कृत |* क्रोध | - (विचार-संकल्प)
(करना) * समारम्भ * वचनयोग * कारित | * मान (साधन-सामग्री जुटाना) | (कराना) * आरम्भ
* काय योग * अनुमत (कार्य शुरू करना)
कार्य में | * लोभ |
सम्मति देना) • कुल = 3 x | 3 x | 3x| 4 = 108
जीव अधिकरण
(दूसरे के
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