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उत्पाद व्यय
ध्रौव्य
* लक्ष्य और लक्षण का भेद है
तीन रूप
(भेद से)
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पञ्चम अध्याय
द्रव्य
तद्भाव
महासत्ता (सादृश्य अस्तित्व)
(जो भी है, वह सब
सत् रूप है)
जिस वस्तु का
जो भाव है
हो सकते, इसलिए एक हैं।
* नाम, संख्या, स्वरूप, प्रयोजन से भेद * उत्पाद-व्यय- ध्रौव्य प्रदेशों से एक हैं।
सत्ता
एक रूप
(अभेद से)
* उत्पाद-व्यय-१
सत् रूप
तद्भावाव्ययं नित्यम्||31॥
सूत्रार्थ - उसके भाव से (अपनी जाति से) च्युत न होना नित्य है । 31 |
नित्य
का
उससे
- ध्रौव्य पृथक् नहीं
अवान्तर सत्ता
(स्वरूप अस्तित्व)
(जो भी है, वह अपने - अपने
भिन्न-भिन्न स्वरूप से है)
अव्यय .
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च्युत न होना
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