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पञ्चम अध्याय
सद् द्रव्यलक्षणम्।।29।। सूत्रार्थ - द्रव्य का लक्षण सत् है।।29।।
उत्पादव्ययध्रौव्ययुक्तं सत्।।30॥ सूत्रार्थ - जो उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य - इन तीनों से युक्त अर्थात् इन तीनों रूप है, वह सत् है।।30॥
द्रव्य(लक्ष्य)
लक्ष्य
→
सत् (लक्षण)
लक्षण उत्पाद
(नवीन पर्याय की उत्पत्ति)
व्यय ध्रौव्य (पूर्व पर्याय (प्रत्यभिज्ञान को कारणभूत का नाश) द्रव्य की किसी अवस्था की
नित्यता) द्रव्य अगर
उत्पाद स्वरूप ही हो
व्यय स्वरूप ही हो
ध्रौव्य स्वरूप उत्पाद-व्यय ही हो : रूप ही हो
तो असत् का उत्पाद हो
तो विश्व शून्य प्रत्यक्ष से विरोध ध्रौव्य बिना को प्राप्त हो हों, क्योंकि अवस्था दोनों का मेल
बदलती दिखाई देती है कैसे हो
मिट्टी बिना घट की उत्पत्ति हो
घट के नाश मिट्टी की पर मिट्टी अवस्था घट का नाश हो रूप न हो
मिट्टी के पिंड
और घटकेआधार रूप मिट्टी न हो, तो वे दोनों भी नहीं हो सकते
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