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________________ पञ्चम अध्याय 101 पुद्गल के अन्य प्रकार से भेद सूक्ष्म- सूक्ष्म । सूक्ष्मः स्यूल-स्थल । पदार्थ लकड़ी. स्व- स्कंध इन्द्रियों से | नेत्र के | नेत्र से द्रव ठोस रूप अवस्था | ग्रहण न हो | सिवाय | दिखे पर पदार्थ से रहित शेष | पकड़ में इन्द्रियों | न आए से ग्रहण हो परमाणु | कार्मण | वायु, | छाया, जल, वर्गणा | ध्वनि । प्रकाश तेल भेदसंघातेभ्यः उत्पद्यन्ते ।।26॥ सूत्रार्थ-भेद से, संघात से तथा भेद और संघात दोनों से स्कन्ध उत्पन्न होते हैं।।26।। भेदावणुः।।27।। सूत्रार्थ - भेद से अणु उत्पन्न होता है।।27।। .... भेदसंघाताभ्यां चाक्षुषः।।28।। सूत्रार्थ - भेद और संघात से चाक्षुष स्कन्ध बनता है।।28।। स्कन्धादि की उत्पत्ति के कारण पत्थर स्कन्ध परमाणु चाक्षुष स्कन्ध (वह स्कंध जो चक्षु से दिखे) भेद-संघात से ही 1. भेद (अलग होना) भेद से ही 2. संघात (मिलना) -- 3. भेद-संघात (दोनों एक साथ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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