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________________ पञ्चम अध्याय 96 वर्तनापरिणामक्रियाः परत्वापरत्वे च कालस्य ।।22॥.. सूत्रार्थ-वर्तना, परिणाम, क्रिया, परत्व और अपरत्व - ये काल के उपकार हैं।।22।। काल का उपकार वर्तना परिणाम क्रिया परत्व अपरत्व (परिणमन (पर्याय) (हलन - (बहुत (थोड़ा में निमित्त) चलन) समय समय लगना) लगना) निश्चय काल का उपकार व्यवहार काल का उपकार सूत्र क्रमांक 17 से 22 तक का सार - द्रव्यों का उपकार (निमित्त - सहायक) राजीव पुद्गल धर्म । अधर्म आकाश काल - क्या | परस्पर |1. शरीर | गति | स्थिति अवगाहन 1.वर्तना उपकार में एक | 2. वचन 2. परिणाम (कार्य)| दूसरे का 3. मन 3. क्रिया उपकार | 4. श्वासोन 4. परत्व च्छवास 5. अपरत्व 5. सुख 6.दुख | 7. जीवन 8. मरण किस जीव का जीव पर जीव और जीव और सभी सभी पर द्रव्य जीव पर पुद्गल पर पुद्गल पर पर । पर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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