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पञ्चम अध्याय • स्पर्शरसगन्धवर्णवन्तः पुद्गलाः।।23।। सूत्रार्थ - स्पर्श, रस, गन्ध और वर्णवाले पुद्गल होते हैं।।23।। शब्दबन्धसोक्षम्यस्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छायातपोद्योतवन्तश्च।।24।। सूत्रार्थ - तथा वे शब्द, बन्ध, सूक्ष्मत्व, स्थूलत्व, संस्थान, भेद, अन्धकार, छाया, आतप और उद्योत वाले होते हैं।।24।।
पुद्गल स्वरूप → जिसमें स्पर्श, रस, गंध, वर्ण पाए जाएँ।
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पर्यायें (1) (2) (3) (4) (5) (6) (7) (8) (9) (10) शब्द बन्ध सूक्ष्म स्थूल संस्थान भेद तम छाया आतप उद्योत
(1) शब्द (जो कान से सुना जाए)
भाषात्मक (सभी प्रायोगिक) अभाषात्मक (जो मुख से उत्पन्न हो) (जो दो वस्तुओं के आघात से उत्पन्न हो)
अक्षरात्मक अनक्षरात्मक प्रायोगिक वैनसिक (मनुष्य व्यवहार * त्रस तिर्यंचों (पुरुष के प्रयत्न (स्वाभाविक) में आने वाली . . की भाषा से उत्पन्न हो) (बादलों की अनेक बोलियाँ). .. * मनुष्य के
गर्जन, झरने. संकेत वचन
की आवाज * दिव्य ध्वनि
आदि)
तत (चमड़े के मड़े) (ढोल, तबला)
वितत घन (तार वाली) (ठोस पदार्थ) (वीणा) (घंटा, घुघरू)
सुषिर (फूंक से) (बाँसुरी)
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