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चतुर्थ अध्याय
ज्योतिष्काणां च।।40॥ सूत्रार्थ - ज्योतिषियों की उत्कृष्ट स्थिति साधिक एक पल्योपम है।।40।।
तदष्टभागोऽपरा।।41॥ सूत्रार्थ - ज्योतिषियों की जघन्य स्थिति उत्कृष्ट स्थिति का आठवाँ भाग है।।41।।
भवनत्रिक-आयु आदि | देवों के नाम | आयु देवांगना आहारेच्छा जघन्य उत्कृष्ट - आय ।
अतराल भवनवासी | असुरकुमार 10 हजार वर्ष 1 सागर | 3 पल्य 1000 वर्ष नागकुमार 10 हजार वर्ष 3 पल्यपल्य/8 121/2 दिन सुपर्णकुमार 10 हजार वर्ष 21/2 पल्य 3 पूर्व कोटी 121/2 दिन द्वीपकुमार | 10 हजार वर्ष 2 पल्य 3 करोड़ वर्ष 121/2 दिन शेष 6 प्रकार 10 हजार वर्ष 11/2 पल्या3 करोड़ वर्ष । | प्रथम 3 प्रकार 12 दिन,
शेष 3 प्रकार 7',दिन व्यंतर 10 हजार वर्ष 1 पल्य | पल्य/2 कुछ अधिक 5
दिन ज्योतिषी | पल्य /8 1 पल्य सभी ज्योतिषी
देवांगनाओं की अपने देवों की आयु के
आधे प्रमाण |पल्य+1
चन्द्र
वर्ष
पल्य/4
| पल्य+
1000 वर्ष
ग्रह
पल्य+,
नक्षत्र
पल्य/8
100 वर्ष |पल्य/2 पल्य/4
तारे
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