________________
84
चतुर्थ अध्याय कौन मनुष्य किस स्वर्ग में उत्पन्न होता है? |
त्यत्ति स्वर्ग
1) भोगभूमिया - मिथ्यादृष्टि व सासादन गुणस्थानवतीं| भवनत्रिक · सम्यग्दृष्टि
सौधर्म-ऐशान स्वर्ग (1 व 2) 2) कुभोगभूमिया मिथ्यादृष्टि व सासादन गुणस्थानवती भवनत्रिक सम्यग्दृष्टि
सौधर्म-ऐशान स्वर्ग (1 व 2) 3) कर्मभूमिया - मिथ्यादृष्टि व सासादन गुणस्थानवर्ती | भवनवासीसे अच्युत स्वर्ग (16) तक
सम्यग्दृष्टि व देशसंयमी । सौधर्म से अच्युत स्वर्ग (1-16) द्रव्य जिनलिंगी ग्रैवेयक तक सकलसंयमी-भावलिंगीमुनि | सौधर्म से सर्वार्थसिद्धि तक अभव्य जिनलिंगी ग्रैवेयक तक परिव्राजक तपस्वी ब्रह्म स्वर्ग तक (5 तक) आजीवक, कांजी आहारी, | सहस्रार स्वर्ग तक (12 तक) अन्य लिंगी
देव और नारकी मरकर देवों में उत्पन्न नहीं होते।
For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org