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असैनी पंचेन्द्रिय पर्याप्त
कौन तिर्यच किस स्वर्ग में उत्पन्न होता है
भवनवासी
व्यंतर
चतुर्थ अध्याय
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भोगभूमि
मिथ्यादृष्टि सम्यग्दृष्टि
सासादन
'भवनत्रिक सौधर्म
सैनी पर्याप्त
कर्मभूमि
ऐशान स्वर्ग
(1 व 2 )
मिथ्यादृष्टि
सासादन
↓
भवनत्रिक
83
से सहस्रार
(12) स्वर्ग
तक
केन्द्रिय और विकलेन्द्रिय तिर्यंच देवों में उत्पन्न नहीं होते हैं।
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सम्यग्दृष्टि
देशसंयमी
सौधर्म से
अच्युत स्वर्ग
तक (1-16)
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