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चतुर्थ अध्याय स्थितिप्रभावसुखद्युतिलेश्याविशुद्धीन्द्रियावधिविषयतोऽधिकाः।।20।। सूत्रार्थ - स्थिति, प्रभाव, सुख, द्युति, लेश्याविशुद्धि, इन्द्रियविषय और
__अवधि विषय की अपेक्षा ऊपर-ऊपर के देव अधिक हैं।।20।।
वैमानिक देवों में उत्तरोत्तर अधिकता
स्थिति प्रभाव सुख द्युति लेश्या इन्द्रिय अवधि (आयु) (पर का भला (इन्द्रिय (शरीर, वस्त्र (भाव) ज्ञान ज्ञान
-बुरा करने विषयों की आभूषण की की शक्ति) सामग्री) चमक)
गतिशरीरपरिग्रहाभिमानतो हीनाः। 21।। सूत्रार्थ - गति, शरीर, परिग्रह और अभिमान की अपेक्षा ऊपर-ऊपर के देव
हीन हैं।।21॥
वैमानिक देवों में उत्तरोत्तर हीनता
गति शरीर परिग्रह . अभिमान (गमन की इच्छा) (ऊँचाई) (ममता का परिणाम) (अहंकार)
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