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चतुर्थ अध्याय ब्रह्मलोकालया लौकान्तिकाः ||24||
सूत्रार्थ - लौकान्तिक देवों का ब्रह्मलोक निवासस्थान है || 24 ||
सारस्वतादित्यवह्नयरुणगर्दतोयतुषिताव्याबाधारिष्टाश्च । | 25 || सूत्रार्थ - सारस्वत, आदित्य, वह्नि, अरुण, गर्दतोय, तुषित, अव्याबाध और अरिष्ट - ये लौकान्तिक देव हैं ||25||
निवास
नाम की
सार्थकता
भेद
कुल संख्या | विशेषता
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81
लौकान्तिक देव
पाँचवें ब्रह्म स्वर्ग के अंत में, 8 दिशाओं में
लोक + अंत = ब्रह्म स्वर्ग + अंत (में निवास जिनका ) लोक (संसार) + अंत = संसार का अंत निकट जिनका 1. सारस्वत 2. आदित्य 3. वह्नि 4. अरुण 5. गर्दतोय 6. तुषित 7. अव्याबाध 8. अरिष्ट 8+ (16 अन्य) = 24 भेद
4,07,820
1. स्वतन्त्र
3. ब्रह्मचारी
5. सम्यग्दृष्टि 7. देवर्षि
2. परस्पर हीनाधिकता से रहित
4. चौदह पूर्व के पाठी
6. संसार से विरक्त
8. तीर्थंकरों के तप कल्याणक में ही आते हैं।
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