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उत्तराध्ययन सूत्र : एक परिशीलन
है ।' उन ढाई - द्वीपों के नाम हैं- जम्बूद्वीप, धातकीखंडद्वीप और आधा पुष्करद्वीप ( पुष्करार्ध) । इन ढाई द्वीपों की रचना एक समान है; अन्तर केवल इतना है कि इनका क्षेत्र क्रमश: दुगुना- दुगुना होता गया है । पुष्कर-द्वीप के मध्य में मानुषोत्तर पर्वत आ जाने के कारण पुष्करद्वीप आधा लिया गया है । अतः इसका क्षेत्र - फल धातकीखण्ड द्वीप के ही बराबर है । २ जम्बू द्वीप में ७ प्रमुख क्षेत्र हैं- भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत और ऐरावत | 3 विदेह - क्षेत्र में दो अन्य प्रमुख क्षेत्र हैं जिनके नाम हैं - देवकुरु और उत्तरकुरु । धातकीखंड और पुष्करार्ध - द्वीप में इन सभी क्षेत्रों की दुगुनी - दुगुनी संख्या है। ये सभी क्षेत्र कर्मभूमि, कर्मभूमि और अन्तरद्वीप के भेद से तीन भागों में विभाजित हैं ।
नहीं हैं । अतः व्यवहार-काल का विभाग मनुष्यक्षेत्र तक ही सीमित होने से मनुष्य क्षेत्र को समय-क्षेत्र कहा जाता है ।
- देखिए - उत्तरज्झयणाणि (आ० तुलसी), भाग-२, पृ०३१६. १. समए समयखेत्तिए ।
—उ० ३६.७
२. इन क्षेत्रों में जम्बूद्वाप जो थाली के आकार का है सबके बीचोंबीच है। इसके चारों ओर लवणसमुद्र है । इसके बाद चूड़ी के आकार में धातकीखण्डद्वीप लवणसमुद्र के चारों ओर स्थित है । इसके बाद धातकीखण्डद्वीप के चारों ओर कालोदधिसमुद्र है । इसके बाद कालोदधिसमुद्र के चारों ओर पुष्करद्वीप है । इसीप्रकार आगे भी समुद्र और द्वीप के क्रम से स्वयम्भूरंमण समुद्र तक रचना है । - देखिए - वृत्त - चित्र २. ३. भरत हैमवत हरिविदेह रम्यक हैरण्यवतै रावतवर्षाः क्षेत्राणि ।
४. कम्म कम्मभूमा य अंतरद्दीवया तहा ।
- त०सू० ३.१०.
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- उ० ३६. १६५.
पन्नरसती सविहा भेया अट्ठवीसई । संखा उ कमसो तेसिइइ एसा वियाहिया ||
-उ० ३६.१६६.
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