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उत्तराध्ययन सूत्र : एक परिशीलन
प्रान्त में भागलपुर स्टेशन से २४ मील पूर्व में स्थित चम्पापुर ( चम्पानगर ) के आसपास के प्रदेश से की जाती है । यह जैनियों का तीर्थस्थान भी है क्योंकि यहां से बारहवें तीर्थङ्कर वासुपूज्य मोक्ष गए थे 1
दशार्ण : '
यहां का राजा 'दशार्णभद्र' था । चित्त और सम्भूत नाम के जीव पूर्वभव में दासरूप में यहीं पैदा हुए थे । कालिदास ने दशार्ण जनपद की राजधानी 'विदिशा' ( भेलसा ) बतलाई है। जैन और बौद्ध दोनों के साहित्य में इस जनपद का उल्लेख मिलता है । इसकी पहचान मध्यप्रदेश की धसान नदी के आस-पास के प्रदेश से की जाती है । दशार्ण नाम के दो जनपद मिलते हैं : १. पूर्व दशार्ण ( मध्यप्रदेश के छत्तीसगढ़ जिले में ) और २. पश्चिम दशार्ण ( भोपाल व पूर्वमालव का प्रदेश ) 13 जैन ग्रन्थों के अनुसार इसकी राजधानी मृत्तिकावती ( मालवा में बनास नदी के पास ) थी । दशार्णपुर और दशपुर ( मंदसौर ) इस जनपद के प्रमुख नगर थे । द्वारका :
भोगराज ( उग्रसेन ) यहां के राजा थे । यहां से रैवतक पर्वत पास में ही था । इसीलिए अरिष्टनेमि ने दीक्षा लेकर रैवतक पर्वत पर केशलुन किया था। यह सौराष्ट्र ( काठियावाड़ ) जनपद की राजधानी मानी जाती है । आर० डेविड्स ने इसे कम्बोज जनपद की राजधानी बतलाया है । ५ राजीमती - नेमि आख्यान से प्रतीत होता है कि अन्धकवृष्णि, कृष्ण, दशार्ह आदि इसी के आस-पास रहने वाले थे ।
उत्तराध्ययन के
पाश्वाल :
उत्तराध्ययन में यहां के दो राजाओं का उल्लेख मिलता है१. ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती और २. द्विर्मुख । यह जनपद कुरुक्षेत्र
१. उ० १३.६; १५.४४.
३. उ० समी०, पृ० ३७६.
५. बुद्धिस्ट इण्डिया, पृ० २१.
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२. मेघदूत, श्लोक २३-२४.
४. उ० २२.२२, २७.
६. उ० १३.२६; १८.४५.
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