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________________ परिशिष्ट ४ : देश तथा नगर के पश्चिम व उत्तर में था। इसकी सीमा में वदायं, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद और उसके आस-पास के प्रदेश आते थे। गंगा नदी के कारण पांचाल दो भागों में विभक्त था-दक्षिण और उत्तर । महाभारत के अनुसार दक्षिण पांचाल की राजधानी काम्पिल्य थी और उत्तर पांचाल की अहिच्छत्रा। महाभारत में पांचाल का कई स्थानों पर उल्लेख हुआ है । पांचाल में उत्पन्न होने के कारण राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी 'पांचाली' कहलाती थी। पिहुण्ड नगर :२ चम्पा नगरी का पालित वणिक् जलपोत से समुद्र पार करके इस नगर में व्यापार के लिए आया था और यहां शादी करके अपने देश लौट गया था। इससे प्रतीत होता है कि यह भारत के समीपवर्ती समुद्र के किनारे का कोई प्रदेश रहा है। शान्टियर ने इसे वर्मा का कोई तटवर्ती प्रदेश माना है। इस नगर की स्थिति के बारे में विद्वानों में मतभेद है।४ डा० जगदीशचन्द्र जैन ने इसे चिकाकोल और कलिंगपट्टम का एक प्रदेश माना है।" पुरिमताल नगर : ___चित्त मुनि इसी नगर में पैदा हुए थे। हेमचन्द्र ने इसे अयोध्या का श्रेष्ठ शाखानगर माना है।' डा० नेमिचन्द्र शास्त्री ने इसकी स्थिति काशी-कोशल के बीच मानी है। मगध : राजा श्रेणिक यहां का राजा था। दक्षिण बिहार अर्थात् बिहार प्रान्त के गया और पटना जिलों के भूभाग को मगध जनपद कहा गया है। इसके उत्तर में गंगा, पश्चिम में सोन नदी, दक्षिण में १. जै० भा० स०, पृ० ४७०. २. उ० २१.६. ३. उ० शा०, पृ० ३५७. ४. देखिए-उ० समी०, पृ० ३८१. ५, जै० भा० स०, ४६५. ६. उ० १३.२. ७. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित, १.३.३८६. ८, आदिपुराण में प्रतिपादित भारत, पृ० ८६-६०. ९. उ० २०.१. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004252
Book TitleUttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherSohanlal Jaindharm Pracharak Samiti
Publication Year1970
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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