SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ २१ प्रास्ताविक : जैन आगमों में उत्तराध्ययन सूत्र है उसका संकेत इस अध्ययन की दो गाथाओं में मिलता है । " महानिर्ग्रन्थ का अर्थ है - सर्वविरत साधु । इस तरह क्षुल्लकनिर्ग्रन्थीय अध्ययन का ही विशेष रूप से वर्णन करने के कारण इसका नाम महानिर्ग्रन्थीय है । २१. समुद्रपालीय - इसमें २४ गाथाएँ हैं जिनमें वणिक् - पुत्र समुद्रपाल की कथा के साथ प्रसंगानुकूल साधु के आचार का वर्णन है । २२. रथनमीय - इसकी ५१ गाथाओं में यदुवंशी अरिष्टनेमी, कृष्ण, राजीमती, रथनेमी आदि का चरित्र चित्रण है । यह अध्ययन कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है । रथनेमी के संयमच्युत होने पर राजीमती के उपदेश से संयम में दृढ़ होने की घटना को प्रधानता देने के कारण इसका नाम रथनेमीय रखा गया है । अन्यथा राजीमती और अरिष्टनेमी की भी प्रभावोत्पादक घटना के आधार पर इस अध्ययन का नाम रखा जा सकता था । दशवैकालिक का द्रुमपुष्पित अध्ययन इससे साम्य रखता है । २३. केशिगौतमीय - इसमें भगवान् पार्श्वनाथ के शिष्य केशी और भगवान् महावीर के शिष्य गौतम के बीच एक ही धर्म में सचेलअचेल, चार महाव्रत और पाँच महाव्रत रूप परस्पर विपरीत द्विविध धर्म के विषय-भेद को लेकर एक संवाद होता है जिसमें समयानुकूल धर्म में परिवर्तन आवश्यक समझकर समन्वय किया गया है। यह अध्ययन कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है । इससे वर्तमान में प्रचलित धर्मविषयक मतभेदों के समन्वय की प्रेरणा मिलती है। इसमें ज़ैनधर्म के श्वेताम्बर और दिगम्बर इन दो सम्प्रदायों के भेद का स्रोत भी स्पष्ट परिलक्षित होता है । गाथाएँ ८६ हैं । २४. समितीय - नेमिचन्द्र की वृत्ति में इसका नाम 'प्रवचनमाता' मिलता है क्योंकि इसमें प्रवचनमाताओं (गुप्ति और समिति ) १. मग्गं कुसीलाण जहाय सव्वं महानियंठाण वए पहेणं । - उ० २०.५१. महानियण्ठज्जमिणं महासुयं से काहए महया वित्यरेणं । Jain Education International For Personal & Private Use Only - उ० २०.५३. www.jainelibrary.org
SR No.004252
Book TitleUttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherSohanlal Jaindharm Pracharak Samiti
Publication Year1970
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy