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________________ ४३२ ] उत्तराध्ययन-सूत्र : एक परिशीलन साधारणतः पत्नी का जीवन पति-भक्ति तक ही सीमित था। अतः कभी-कभी पति के दीक्षा ले लेने पर पत्नियां भी दीक्षा ले लेती थीं। पति के लिए पत्नियां प्राय: भोगविलास की साधन थीं। कुछ पत्नियाँ पति को भी प्रबोधित करती थीं। एक भाई दूसरे भाई से साधरणतया प्रेम करता था। _ नारी यद्यपि परिवार से पृथक् नहीं है परन्तु उसकी स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। पुरुष जैसा चाहता वैसा उसके साथ व्यवहार करने में स्वतन्त्र था। पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित करके संयम से पतित करने में कारण नारी ही होती थी। परन्तु यह पुरुष की एकांगी धारणा थी क्योंकि वह अपने आपको संयमित न कर सकने के कारण नारी को दोष देता था और उसे भला-बुरा सब कुछ कहता था। अन्यथा राजीमती, कमलावती जैसी श्रेष्ठ नारियों की भी कमी नहीं थी जिन्होंने पुरुषों को. संयम में प्रवृत्त कराया। यह सच है कि ऐसी श्रेष्ठ नारियाँ कम थीं और अधिकांश नारियां परापेक्षी तथा भोग-विलास में ही निमग्न थीं। ये पिता के द्वारा जिसे दे दी जाती थीं उनका सर्वस्व वही हो जाता था। पति के दीक्षा ले लेने पर कुछ नारियां उनका अनुसरण भी करती थीं। कुछ पति की मृत्यु हो जाने पर पर-पुरुष का भी आलम्बन कर लेती थीं। इस तरह स्त्रियों की स्वतन्त्र-स्थिति का प्रायः अभाव था। धार्मिक-प्रथाओं में यज्ञ का अत्यधिक प्रचलन था। यज्ञों में अनेक मूक-पशुओं की बलि दी जाती थी। कुछ ऐसे भी यज्ञ होते थे जो घृतादि के द्वारा ही सम्पन्न किए जाते थे। इनमें हिंसा नहीं होती थी और ऐसे यज्ञमण्डपों में जैनश्रमण भी भिक्षार्थ जाया करते थे। कभी-कभी वहां उनका तिरस्कार भी होता था परन्तु फिर भी वे वहां पर शान्त रहते और अवसर मिलने पर यज्ञ की भावपरक आध्यात्मिक व्याख्याएँ भी किया करते थे। ___ स्त्री और पुरुष का सम्बन्ध कराने के लिए विवाह की प्रथा प्रचलित थी। उसमें प्रायः पिता ही सर्वोपरि होता था। अतः पुत्र या पुत्री के अधिकांश सम्बन्ध पिता ही निश्चित किया करता था । श्रेष्ठ कन्याओं का विवाह बड़े उत्सव के साथ होता था। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004252
Book TitleUttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherSohanlal Jaindharm Pracharak Samiti
Publication Year1970
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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