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उत्तराध्ययन-सूत्र: एक परिशीलन .
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संख्या, नाम और क्रम की तरह 'मूलसूत्र' का अर्थ भी विवादास्पद है । ये मूलसूत्र क्यों कहे जाते हैं ? इस विषय में विद्वानों ने भिन्न-भिन्न तर्क उपस्थित किए हैं क्योंकि प्राचीन कोई भी ऐसा स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है जिसमें इसका अर्थ स्पष्ट किया गया हो। मूलसूत्रों के नामों में अन्तर होने से भी इसका स्पष्ट कथन कर सकना सम्भव नहीं है । 'मूलसूत्र' शब्द के अर्थ पर विचार
५. प्रो० वेबर और प्रो० बूलर ३ उत्तराध्ययन, आवश्यक और
दशवकालिक । ६. डॉ० शारपेन्टियर, डॉ० ४ उत्तराध्ययन. आवश्यक, दशवं.
विन्टरनित्स और डॉ० कालिक और पिण्डनियुक्ति ।
गेरिनो ७. प्रो० शुब्रिग
५ उत्तराध्ययन, दशवकालिक,
आवश्यक, पिण्डनियुक्ति और
ओघनियुक्ति। ८. प्रो० हीरालाल कापडिया ६ आवश्यक, उत्तराध्ययन. दशव
कालिक, दशवकालिक चलिकाएँ, पिण्डनियुक्ति और ओघ
नियुक्ति । ६. डॉ. जगदीशचन्द्र,पं० दल- ४ उत्तराध्ययन, दशवकालिक,
सुख मालवणिया और आवश्यक और पिण्डनियुक्ति; डॉ. मोहनलाल मेहता अथवा उत्तराध्ययन, आवश्यक,
दशवकालिक और पिण्डनियुक्ति
ओघनियुक्ति। १०. आचार्य तुलसी २ दशवकालिक और उत्तरा
ध्ययन । -विशेष के लिए देखिए-जै० सा० बृ० इ०, भाग २, पृ० १४४; जै० सा० बृ० इ०, भाग १, प्रस्तावना, पृ० २८; हि० के० लि. जै०, पृ० ४४-४८; प्रा० सा० इ०, पृ० ३५; द० उ० भूमिका, पृ० ७-८. .
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