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प्रकरण ४ : सामान्य साध्वाचार [२६९ खड़ा न होवे' क्योंकि स्त्री आदि से आकीर्ण स्थानों पर ठहरने से उनकी कामक्रीडाएँ देखकर ब्रह्मचारी को कामेच्छा जाग्रत हो सकती है। पूर्ण संयमी को स्त्री के संपर्क से बचना चाहिए अन्यथा रथनेमी की तरह कामजन्य चञ्चलता का होना संभव है ।२ जैसे बिल्लियों के पास चूहों का रहना उचित नहीं है उसी प्रकार ब्रह्मचारी पुरुष का स्त्री के पास (स्त्री का पुरुष के पास) रहना ठीक नहीं है। अतः ब्रह्मचारी साधु के लिए एकान्तस्थान ही उपयुक्त है।
२. कामराग को बढ़ाने वाली स्त्री-कथा का त्याग-मन में आह्लाद को पैदा करने वाली तथा कामराग को बढ़ाने वाली स्त्री. कथा कहने व सुनने से ब्रह्मचर्य टिक नहीं सकता है। अतः ब्रह्मचारी को स्त्री-कथा से दूर रहना चाहिए। जिस स्त्री-कथा १. जं विवित्तमणाइन्नं रहियं इत्थिजणेण य । बम्भचेरस्स रक्खट्ठा आलयं तु निसेवए ।
-उ० १६.१. समरेसु अगारेसु संधीसु य महापहे । एगो एगित्थिए सद्धि णेव चिठे ण संलवे ॥
-उ० १.२६. ... तथा देखिए-उ० ८.१६; १६.१ (गद्य),११; २२.४५,३२.१३. २. देखिए-परिशिष्ट २. ३. जहा विरालावसहस्स मूले न मूसगाणं वसही पसत्था। ___ एमेव इत्थीनिलयस्स मज्झे न बंभयारिस्स खमो निवासो॥
-उ० ३२.१३. ४. कामं तु देवीहिं विभूसियाहिं न चाइया खोभइउं तिगुत्ता। . तहा वि एगंतहियं ति नच्चा विवित्तवासो मुणिणं पसत्थो ।
-उ० ३२.१६. ५. मण पल्हायजणणी कामरागविवड्ढणी। बम्भचेररओ भिक्खू थीकहं तु विवज्जए ॥
-उ० १६.२. तथा देखिए-उ० १६. २ (गद्य), ११.
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