________________
नहीं करते हैं। गत्युपग्रहकारण भूतो धर्मास्तिकायो नोपर्यस्तीत्यलोके गमनाभाव: तद्भावे च लोकालोक विभागाभाव: प्रसज्यते॥
गति के उपकार का कारण भूत धर्मास्तिकाय लोकान्त के ऊपर नहीं है, इसलिए मुक्त जीव का अलोक मे गमन नहीं होता। और यदि आगे धर्मास्तिकाय का अभाव होने पर भी अलोक में गमन माना जाता है तो लोकालोक के विभाग का अभाव प्राप्त होता है।
न धर्माभावत: सिद्धा गच्छन्ति परतस्ततः।
धर्मोहि सर्वदा कर्ता जीव पुद्गलयोर्गतेः॥ त्रैलोक्य के अंत तक धर्मास्तिकाय होने से सिद्ध जीवों की गति लोकान्त तक ही होती है। अलोक में जीव और पुद्गल के गति हेतु का अभाव होने . से लोक के ऊपर गति नहीं होती।
मुक्त जीवों में भेद होने के कारण क्षेत्रकालगतिलिङ्गतीर्थचारित्रप्रत्येकबुद्धबोधितज्ञानावगाहनान्तरसंख्याल्पबहुत्वतः साध्याः। (9)
The emanci Pated souls can lie differentiated with deference to
1. The region.
2. Time.
3. State. 4. Sign. 5. Type of Tirtha.
6. Conduct.
7. Self enlightenment, enlightened by others.
8.Knowledge.
9. Stature. 10. Interval.
11. Number and
650
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org