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truthfulness, self restraint, austerity, renunciation, non-attachment and celibacy constitute virtue or duty. The दशलाक्षणीधर्म, 10 observances are constitute virtue are: उत्तम क्षमा Forgiveness or supreme forlearnace. उत्तम मार्दव Humility or modesty. उत्तम आर्जव Straight-forwardness, honesty. उत्तम शौच Contentment or purity. उत्तम सत्य Truth or truthfulness. उत्तम संयम Restraint उत्तम तप Ausrerities. . उत्तम त्याग Renunciation. 3914 Bifchwert Not taking the non-self for one's own self and उत्तम ब्रह्मचर्य Chastitv, all of the highest degree.
उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य यह दस प्रकार का धर्म है। (1) उत्तम क्षमा-क्रोध की उत्पत्ति के निमित्तभूत असह्य आक्रोशादि के सम्भव होने पर भी कालुष्य भाव का नहीं होना क्षमा है। शरीर-यात्रा के लिए पर-घर में भिक्षा के लिए भ्रमण करते हुए भिक्षु को दुष्टजनों के द्वारा कृत आक्रोश (गाली), हँसी, अवज्ञा, ताडन, शरीरच्छेदन आदि क्रोध असह्य निमित्त मिलने पर भी कलुषता का न होना उत्तम क्षमा है।
इन उत्तम क्षमा आदि सर्व धर्मों में स्वगुण-प्राप्ति और प्रतिपक्षी दोष की निवृत्ति की भावना की जाती है। अत: ये दस धर्म संवर के कारण हैं, ऐसा जानना चाहिए। जैसे-व्रत-शील का रक्षण, इहलोक और परलोक में दुःख नहीं होना, सर्व जगत् में सन्मान और सत्कार प्राप्त होना आदि क्षमा के गुण हैं। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पुरुषार्थ का नाश करना क्षमा धर्म के प्रतिपक्षी क्रोध के दोष हैं। अर्थात् क्षमा के कारण व्रत-शीलादि का रक्षण, सन्मान-सत्कार
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