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________________ का आकार विग्रह गति में पूर्व शरीर के आकार रूप बना रहता है। उसका कारण आनुपूर्वी का उदय हैं। उस आनुपूर्वी का उदय काल विग्रह गति में ही होता है। उसका अधिक से अधिक काल तीन समय और जघन्य एक समय है । ऋजुगति में पूर्व शरीर के आकार का विनाश होने पर शीघ्र ही उत्तर शरीर के योग्य पुद्गलों का जो ग्रहण होता है, वह निर्माण नाम कर्म के उदय का व्यापार है । 15. अगुरुलघु नामकर्म :- जिसके निमित्त से शरीर अगुरुलघु होता है वह अगुरुलघु नामकर्म है। अर्थात् जिसके उदय से लोकपिण्ड के समान गुरु होकर न तो पृथ्वी में नीचे ही गिरता है और न रुई की तरह लघु होकर ऊपर ही उड़ जाता है वह अगुरु लघु नामकर्म है। प्रश्न: - धर्म-अधर्म आदि द्रव्यों में अगुरुलघुत्व कैसे होता है ? उत्तर:- धर्म-अधर्म आदि अजीव द्रव्यों में अनादि पारिणामिक अगुरुलघुत्व गुण के कारण अगुरुलघुत्व है, नामकर्म की अपेक्षा से नहीं । प्रश्न:- - मुक्तजीवों में अगुरुलघुत्व कैसे है ? उत्तर:- अनादिकालीन कर्मबन्धन बद्ध जीवों में कर्मोदयकृत अगुरुलघुत्व है और कर्मबन्धन रहित मुक्त जीवों में स्वाभाविक अगुरुलघुत्व है। 16. उपघात नामकर्म:- जिस कर्म के उदय से स्वयंकृत बन्धन और पर्वत से गिरना आदि हो वह उपघात नाम कर्म है। जो विष सेवन कर, अग्नि में जलकर मर जाते हैं या ऐसे शरीर के अवयव जिनसे अपना घात होता है, वे सब उपघात नाम कर्म के विपाक हैं । ( 17 ) परघात नामकर्म :- जिसके निमित्त से परकृत शस्त्रादि के द्वारा घात होता है, वह परघात नामकर्म है। 'पर' शब्द अन्य का पर्यायवाची है। जिस कर्म के उदय से फलक, कवच आदि आवरण का सन्निधान होने पर भी पर प्रयुक्त शस्त्र आदि के द्वारा घात होता है, पर के द्वारा मारण, ताड़न आदि होते हैं, वह परघात नाम कर्म है। ( 18 ) आतप नामकर्म :- जिसके उदय से आतपन होता है, वह आतप नाम कर्म है। अथवा जिसके उदय से आत्मा तपती है, जो सूर्य आदि में तप का निर्वर्तक है, वह आतप नाम कर्म है, आतप नामकर्म का उदय सूर्य के विमान एकेन्द्रिय पृथ्वीका है, उसके ही होता है। 498 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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