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की अपेक्षा प्राणियों को शारीरिक मानसिक आदि अनेक प्रकार के सुखों का अनुभव हो वा प्रशस्त रूप सामग्री की प्राप्ति होती है, वह साता वेदनीय है। असाता वेदनीय- जिसका फल अनेक प्रकार का दुःख रूप है, उसको असाता वेदनीय कहते हैं। जिस कर्म का फल प्राणियों को नाना प्रकार की जाति विशेष से व्याप्त नरक, तिर्यञ्च आदि गतियों में अनेक प्रकार के कायिक, मानसिक
और अति दुःसह जन्म-जरा-मरण, प्रियवियोग, अप्रियसंयोग, व्याधि, बध और बन्ध आदि से जन्य दुःख का अनुभव होता है वा अनेक प्रकार के दुःखों की प्राप्ति जिस कर्म के उदय से होती है। वह असाता वेदनीय है, अप्रशस्त वेदनीय, असवेंदनीय है
मोहनीय के 28 भेद दर्शनचारित्रमोहनीयाकषायकषायवेदनीयाख्यास्त्रिद्विनवषोडशभेदा: सम्यक्त्वमिथ्यात्वतदुभयान्यकषायकषायौ हास्यरत्यरतिशोकभयजुगुप्सा स्त्रीपुनपुंसक वेदा अनन्तानुबन्ध्यप्रत्याख्यान प्रत्यख्यान संज्वलन विकल्पाश्चैकश:क्रोधमानमायालोभाः। (9) मोहनीय Deluding is of 28 kinds the primary divisions are two:
. Right-belief-deluding 2. चारित्र मोहनीय
Right-delief-deluding
Right conduct. deluding 2 kinds: 1. अकषाय वेदनीय With slight passions 2. कषाय वेदनीय : With passions
. Right belief deluding is of 3 kinds: 1. मिथ्यात्व
Wrong-belief. 2. सम्यक् मिथ्यात्व Mixed wrong and right belief. 3. सम्यक् प्रकृति Right belief with slight pefect, Akasaya ve
daniya is of 9 kinds: 1. हास्य
Risible laughter producing.
2.रति
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Indulegence.
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