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________________ आदि टुकड़े होते हैं वह खण्ड नामका भेद है। उड़द और मूंग आदि का जो खण्ड किया जाता है वह चूर्णिका नाम का भेद है। मेघ के जो अलग-अलग पटल आदि होते हैं वह प्रतर नामका भेद है। तपाये हुए लोहेके गोले आदि को घन आदि से पीटने पर जो स्फुलिगें निकलते हैं वह अणुचटन नामका भेद है। (7) अन्धकार- जिससे दृष्टि में प्रतिबन्ध होता है और जो प्रकाश का विरोधी है वह तम कहलाता है। (8) छाया- प्रकाश को रोकने वाले पदार्थों के निमित्त से जो पैदा होती हैं वह छाया कहलाती है। उसके दो भेद हैं- एक तो वर्णादि के विकार रूप से परिणत हुई और दूसरी प्रतिबिम्बरूप। (७) आतप- जो सूर्य के निमित्त से उष्ण प्रकाश होता है उसे आतप कहते हैं। उद्योत- चन्द्रमणि और जुगुनू आदि के निमित्त से जो प्रकाश पैदा होता है उसे उद्योत कहते हैं। पुद्गल के भेद अणवः स्कन्धाश्च । (25) Matter axists in the form of indivisible elementary particles (atom) and their combinations (malecule) पुद्गल के दो भेद है- अणु और स्कन्ध। ___ जो पूरण, गलन धर्म वाला हो उसे 'पुद्गल' कहते हैं। पूरण अर्थात् मिलना गलन अर्थात् अलग होता है। जैसे-जल को ठंडा करने से जल के कण परस्पर मिलकर बर्फ बन जाते हैं एवं जल को गर्म करने से जल के कण अलग-अलग होकर वाष्प बन जाते हैं। विश्व में दृश्यमान तथा अन्य चारों इन्द्रियों से जानने योग्य पदार्थ पुद्गल ही हैं। मुख्यत: इस पुद्गल के दो भेद हैं- (1) अणु (2) स्कन्ध। एक प्रदेश में होने वाले स्पर्शादि पयार्य को उत्पन्न करने की सामर्थ्य 311 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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