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________________ पुद्गल द्रव्य का उपकार शरीरवाङ्मन: प्राणापाना: पुद्गलानाम् । ( 19 ) शरीर वाङ्मनस्प्राण-अपाना: जीवानां पुद्गलानां उपकारः । The function of matter forms the physical basis of the bodies, speech mind the respiration of the souls. शरीर, वचन, मन और प्राणापान यह पुद्गलों का उपकार है। इस सूत्र में संसारी जीवों के लिए पुद्गल का क्या क्या उपकार है उसका वर्णन किया गया है । संसारी जीवों के पांचों शरीर, वचन, मन, श्वासोच्छ्वास पुद्गल से बनते हैं अर्थात् शरीर आदि पुद्गल स्वरूप हैं। गोम्मट्टसार जीवकाण्ड में विश्व में स्थित 23 पौद्गलिक वर्गणाओं में से किन-किन वर्गणाओं से उपरोक्त शरीर आदि बनते हैं उसका वर्णन निम्न प्रकार किया है तेईस जाति की वर्गणाओं में से आहारवर्गणा के द्वारा औदारिक, वैक्रियक, आहारक, ये तीन शरीर और श्वासोच्छ्वास होते हैं तथा तेजोवर्गणा रूप स्कन्ध के द्वारा तैजस शरीर बनता है । आहारवग्गणादो तिण्णि सरीराणि होंति उस्सासो । णिस्सासो वि य तेजोवग्गणखंधादु तेजंगं ।। (607) ( गो . सा. पृ. 272) भाषा वर्गणा के द्वारा चार प्रकार का वचन मनोवर्गणा के द्वारा हृदय स्थान में अष्ट दल कमल के आकार का द्रव्यमन तथा कार्माण वर्गणा के द्वारा आठ प्रकार के कर्म बनते हैं ऐसा जिनेन्द्र देव ने कहा है । 298 भासमणवग्गणादो कमेण भासा मणं च कम्मादो । अट्ठविहकम्मदव्वं होदि ति जिणेहिं णिद्दिट्ठ ।। (608) "शरीर आदि पौद्गलिक हैं" इसको सिद्ध करने के लिए तार्किक शिरोमणि भट्ट अकलंक देव ने राजवार्तिक में तार्किक एवं वैज्ञानिक प्रणाली से बहुत सुन्दर वर्णन किया है, जो निम्न प्रकार है 1. शरीर पौद्गलिक - औदारिक, वैक्रियक, आहारक, तैजस और कार्माण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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