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चित्रा पृथ्वी से ऊपर जाकर बुध और शनिश्चर के अन्तराल में अवशिष्ट 83 ग्रहों की नित्य नगरियाँ अवस्थित हैं।
अवसेसाण गहाणं णयरीओ उवरि चित्तभूमीदो ।
गंत्तू बहसणीणं विच्चाले होंति णिच्चाओ ।। (333)
विशेषार्थ :- चित्रा पृथ्वी से ऊपर जाकर बुध और शनिश्चर ग्रहों के अन्तराल अर्थात् 888 योजन और 900 योजन के बीच में अवशेष 83 ग्रहों की 83 नगरियाँ नित्य - अवस्थित हैं ।
सम्पूर्ण ग्रह 88 हैं, उनमें से (1) बुध, (2) शुक्र, (3) गुरू, (4) मंगल और (5) शनि इन पाँच ग्रहों को छोड़कर अवशेष, ( 1 ) काल विकाल, (2) लोहित, (3) कनक, (4) कनक संस्थान, (5) अन्तरद ( 6 ) कचयव, ( 7 ) दुन्दभि:, (8) रत्ननिभ, (9) रूपनिर्भास, ( 10 ) नील, (11) नीलाभास, (12) अश्व, (13) अश्वथान, ( 14 ) कोश, ( 15 ) कंसवर्ण, ( 16 ) कंस, ( 17 ) शङ्ख, परिणाम, (18) शङ्ख वर्ण, (19) उदय, (20) पञ्चवर्ण, ( 21 ) तिल, (22) तिलपुछ, ( 23 ) क्षारराशि, (24) धूम, (25) धूमकेतु, (26) एक संस्थान (27) अक्ष, (28) कलेवर, ( 29 ) विकट, ( 30 ) अभिन्नसधि, ( 31 ) गन्थि, ( 32 ) मान, (33) चतु:पाद, (34) विद्युजिव्हा, ( 35 ) नभ, (36) सदृश, (37) निलय, (38) काल, (39) कालकेतु, (40) अनय, ( 41 ) सिंहायु, (42) विपुल, (43) काल (44) महाकाल (45) रूद्र, (46) महारूद्र, ( 47 ) सन्तान, ( 48 ) सम्भव, (49) स्वर्वार्थी, (50) दिशा, ( 51 ) शान्ति, ( 52 ) वस्तुन, (53) निश्चल, ( 54 ) प्रलम्भ, ( 55 ) निर्मन्त्रो, ( 56 ) ज्योतिष्मान्, ( 57 ) स्वयंप्रभ, ( 58 ) भासुर, (59) विरज, (60) निर्दु: ख, (61) वीतशोक, (62) सीमङ्कर, (63) क्षेमङ्कर, (64) अभयङ्कर, (65) विजय, ( 66 ) वैजयन्त, ( 67 ) जयन्त, ( 68 ) अपराजित, (69) विमल, ( 70 ) त्रस्त, ( 71 ) विजयिष्णु, (72) विकस, (73) करिकाष्ट, (74) एकजटि, (75) अग्निज्वाल, ( 76 ) जलकेतु, (77) केतु, (78) क्षीरस, (79) अघ, (80) श्रवण, (81) राहु, ( 82 ) महाग्रह और (83) भावग्रह इन 83 ग्रहों की नगरियाँ बुध और शनि ग्रह के अन्तराल में अवस्थित हैं।
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