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चार प्रकार के देवों के सामान्य भेद
इन्द्रसामानिकत्रायस्त्रिंशपारिषदात्मरक्षलोकपालानीकप्रकीर्णकाभियोग्यकिल्विषिकाश्चैकश :1 (4)
Every class (has) grades;
Powerful and of supreme authority, like a king. सामानिक Powerful but not authoritative like Indra like father,
teacher.
त्रायस्त्रिंश Like minister or Priest, so-called they are 33 in number.
पारिषद Like Courtiers.
आत्मरक्ष Like Body-guards.
लोकपाल " The police, the protectors of the people.
अनीक " The army.
प्रकीर्णक " The people.
आभियोग्य
That grade of celestial beings who from themselves into conveyances as horse, lion, swan etc. etc. for the other grades. fchrafuch" That Servile grade.
उक्त दस आदि भेदों में से प्रत्येक इन्द्र, सामानिक, त्रायस्त्रिंश पारिषद, आत्मरक्षक, लोकपाल, अनीक, प्रकीर्णक, आभियोग्य और किल्विषिक रूप हैं।
1. इन्द्र परम ऐश्वर्य के कारण 'इन्द्र' कहलाता है। अन्य देवों में नहीं पाई जाने वाली अणिमा, महिमा आदि ऋद्धि रूप ऐश्वर्य गुण के योग से जो आनंदित होता है वह 'इन्द्र' कहलाता है ।
2. सामानिक - इन्द्र के स्थान के योग्य होने से सामानिक है । इन्द्रों के समान आज्ञा एवं ऐश्वर्य को छोड़कर शेष स्थान, आयु, शक्ति, परिवार, भोगोपभोग आदि में जो इन्द्रों के समान हो वे सामानिक कहे जाते हैं। 'समाने भवा: समानिका : अर्थात् स्थानादि से जो समान हों वे सामानिक कहे जाते हैं। सामानिक देव इन्द्र के पिता, गुरू, महत्तर, उपाध्याय आदि के समान होते हैं। समान
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