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नहीं पाया जाता है।
न देवाः । ) The celestial beings never have a common sex. They are always masculine or feminine. देव नपुंसक नहीं होते हैं।
स्त्री-पुरूष सम्बन्धी निरतिशय सुखों का अनुभव करने वाले होने से देवों में नपुंसक वेद का अभाव है। वे देवगण शुभगति नामकर्म उदय की अपेक्षा निरंतर स्त्री-पुरूष सम्बन्धी सुखों का उपभोग करते हैं, इसलिए उनमें नपुंसक वेद नहीं हैं।
- शेषास्त्रिवेदाः। (52) The remaining beings i.e; thouse born of an embryo have 3 sexes i.e; they can be masculine, feminine or common. शेष सब जीव तीन वेद वाले होते हैं। नारकी एवं सम्मूर्छन जन्म वाले जीव नपुंसक जीव होते हैं, देवगति में पुरूष वेद एवं स्त्रीवेद ही हैं परन्तु नपुंसकवेद नहीं है। इनको छोड़कर शेष बचे हुए संसारी जीव में तीनों वेद अर्थात् पुरूषवेद, स्त्रीवेद एवं नपुंसकवेद होते हैं।
अर्थात् बचे हुए मनुष्य और तिर्यंच तीनों वेद वाले होते हैं। गोम्मट्टसार में . इसका सविस्तार वर्णन निम्न प्रकार है
णेरइया खलु संढा, णरतिरिऐ तिण्णि होंति सम्मुच्छा। संढा सुरभोगभुमा, पुरिसिच्छीवेदगा चेव॥[3]
. पृ.63
नारकीयों का द्रव्यवेद तथा भाववेद नपुंसक ही होता है। मनुष्य और तिर्यंचों के तीन ही (स्त्री, पुरूष, नपुंसक) वेद होते हैं, सम्मूर्च्छन मनुष्य और तिर्यंच नपुंसक ही होते हैं। देव और भोगभूमियों के पुरूषवेद और स्त्रीवेद ही होता है।
देव, नारकी, भोगभूमियां और सम्मूर्च्छन जीव इनका जो द्रव्यवेद होता है, वही भाववेद होता है, किन्तु शेष मनुष्य और तिर्यंचों में यह नियम नहीं
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