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________________ * ३९२ * कर्मविज्ञान भाग ९ : परिशिष्ट * अनुभाव- अनुभाग - जिस प्रकार बकरी, गाय और भैंस के दूध के रस में अपेक्षाकृत न्यूनाधिक मधुरता हुआ करती है, उसी प्रकार कर्मपुद्गलों में अपनी फलदान-शक्ति में जो अपेक्षाकृत न्यूनाधिकता होती है, वह अनुभव अनुभाव या अनुभाग कहलाता है। अनुभाग–कषायजनित अध्यवसायों (परिणामों) के अनुसार कर्मों में जो शुभ या अशुभ रस प्रादुर्भूत होता है, उसका नाम अनुभाग है। उसे अनुभाव, स्वभाव, प्रभाव, माहात्म्य, शक्ति कहते हैं। अनुभागबन्ध-जिस प्रकार म्रोदकों में स्निग्ध व मधुर आदि रस एकगुणे, दुगुणे व तिगुणे आदि रूप में रहते हैं, उसी प्रकार कर्म में भी जो देशघाती व सर्वघाती, शुभ व अशुभ, तथा तीव्र, मन्द आदि रस ( अनुभाग ) का बन्ध होता है, वह अनुभागबन्ध है। अनुभाग-संक्रमण–अनुभाग का अपकर्षण, उत्कर्षण या अन्य प्रकृति के रूप में परिणमन होना । अनुभागोदीरणा-वीर्य-विशेष से उदय - प्राप्त रस के साथ अनुदय-प्राप्त रस का वेदन होना । अनुगमन-अनुसरण करना, पीछे-पीछे चलना । जैसे- पूर्वकृत कर्म कर्ता का स्वयं अनुगमन करते हैं। अनुमति - कार्य को स्वयं न करना, न कराना, किन्तु करते हुए की मन से अनुमोदना या प्रशंसा करना। इसे अनुमोदना या अनुमति भी कहते हैं। अनुमान-साध्य के साथ अविनाभावी सम्बन्ध रखने वाले साधन से साध्य का ज्ञान। अनुप्रेक्षा- शरीरादि के अनित्यादि स्वभाव का पुनः पुनः चिन्तन करना । अनुप्रेक्षा ( स्वाध्याय) - स्वाध्याय का चौथा अंग । पठित अर्थ का मन से चिन्तन-मननपूर्वक अभ्यास करना अनुप्रेक्षा है । अनुप्रेक्षक - अनुप्रेक्षाओं पर गहराई से बार-बार चिन्तन करने वाला । अनुप्रेक्षण - अनुप्रेक्षाओं पर बार-बार चिन्तन करना । के अनुराग - विषय, व्यक्ति या भाव के अनुकूल प्रशस्त या अप्रशस्तराग । अनुराग चार प्रकार--भावानुराग, प्रेमानुराग, मज्जानुराग और धर्मानुराग । अनुपपत्ति-युक्ति का अभाव। असंगति। अनुग्रह - कृपा या उदारभाव । उपकार। अनुत्तर- सर्वश्रेष्ठ (सिद्धान्त), सर्वोत्तम । अनुत्तरज्ञानी (केवलज्ञानी)। अनुदय-कर्मोदय का अभाव, कर्मफल के अनुभव का अभाव। अनुदित - जिसका उदय न हुआ हो । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004250
Book TitleKarm Vignan Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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