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* पारिभाषिक शब्द-कोष * ३९३ *
अनुदीर्ण = अनुदीरित-जिसकी उदीरणा दूर भविष्य में हो, या जिसकी उदीरणा न हुई हो, जिसकी उदीरणा भविष्य में न हो।
अनुवीक्षण-अनुवीचि (अनुविचिन्त्य)-पर्यालोचन करना, विचार करना। अनुपर्यटन-परिभ्रमण करना।
अनुयोग-अर्थ के साथ सूत्र की अनुकूल योजना। व्याख्या, टीका, सूत्र का विस्तार से अर्थ-प्रतिपादन।
अनुद्धात-गुरुप्रायश्चित्त, उद्धातरहित, निशीथसूत्र का वह भाग जिसमें अनुद्धातिक प्रायश्चित्त का विचार है।
अनुक्रम-क्रम; परिपाटी से। अनुपालना-प्रतिपालन करना, सुरक्षण करना। अनुलोम-अनुक्रम, सीधा, अनुकूल।
अनुश्रेणी-सीधी पंक्ति, पंक्ति-अनुसार। लोक के मध्य भाग से ले कर ऊपर, नीचे और तिरछे रूप में अवस्थित आकाश-प्रदेशों की पंक्ति। . अनुश्रोतःपदानुसारिणी बुद्धि-किसी अन्य से प्रथम पद के अर्थ और ग्रन्थ को श्रवणकर अन्तिम पद तक उस अर्थ और ग्रन्थ के विचार में समर्थ अतिशय निपुण बुद्धि। ___अनुसारी (बुद्धि)-गुरु के उपदेश से किसी भी ग्रन्थ के आदि, मध्य और अन्त के . एक बीज पद को सुन कर उससे ऊपरिवर्ती ग्रन्थ को जान लेने वाली बुद्धि।
अनुभवगोचर-अनुभव का विषय।
अनुभाव-कर्मफलभोग। वे पाँच प्रकार के निमित्त से प्राप्त होते हैं-गति प्राप्त कर, स्थिति प्राप्त कर, भव प्राप्त कर, पुद्गल प्राप्त कर तथा पुद्गल परिणाम को प्राप्त कर।
अनेकसिद्ध-एकसिद्ध-एक समय में अनेक जीवों का सिद्ध होना अनेकसिद्ध है, और एक व्यक्ति का सिद्ध होना एकसिद्ध है।
अनेकान्त-एक ही वस्तु में मुख्यता और गौणता की अपेक्षा अस्तित्व और नास्तित्व आदि विरोधी धर्मों का प्रतिपादन। ___अन्तकृत्-जो केवलज्ञान होने के साथ ही कर्मों का, जन्म-मरण का और सर्वदुःखों का अन्त कर देता है। अन्तकर इसी का पर्यायवाची शब्द है।
अन्तकृद्दशांगसूत्र-अष्टम अंग आगम। इसमें भगवान नेमिनाथ और भगवान महावीर के शासन के ९0 महापुरुषों का वर्णन है, जिन्होंने कर्मों आदि का सर्वथा अन्त कर दिया है।
अन्तक्रिया-जन्म-मरण की परम्परा का अन्त करने वाली तथा सर्वकर्मक्षय (अन्त) करके योगनिरोध करने की क्रिया लोकोत्तर अन्तक्रिया है।
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