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________________ * पारिभाषिक शब्द-कोष * ३८९ * अनपवर्तनीय-अनपवर्त्य-आयुकर्म की जितनी स्थिति बाँधी गई है उतनी स्थिति के वेदन करने को अनपवर्तनीय आयु कहते हैं। इसे अनपवर्त्य या निरुपक्रमी आयु भी कहते हैं। अनशन-केवल सकामनिर्जरा के उद्देश्य से स्वेच्छा से आहार-त्याग करना। आमरण (समाधिमरणरूप) अनशन का लक्षण भी यही है। अनभिगृहीत मिथ्यात्व-परोपदेश के बिना ही मिथ्यात्वकर्म के उदय से तत्त्वों का अश्रद्धान। इसे 'अनाभिग्रहिक' भी कहते हैं। अनाकार-आकार और विकल्प से रहित उपयोग, अर्थात् दर्शनोपयोग। अथवा निराकार परमात्मा। अनाकारोपयोग-दर्शनोपयोग। अनाकांक्षा क्रिया-आलस्य, धूर्तता या मूर्खता के कारण आगमोक्त आवश्यक क्रियाओं को करने में अनादरभाव रखना। अनाशंसा-किसी प्रकार की आकांक्षा रखे बिना समाधिमरण प्राप्त करना। मुख्य पाँच प्रकार की आशंसाओं से रहित होना-इहलोकाशंसा, परलोकाशंसा, जीविताशंसा, मरणाशंसा और कामभोगाशंसा। अनाचार-दूषित या खराब आचरण। व्रत भंग कर देना। विषयों में अत्यधिक आसक्ति। अनाकुलता-आकुलता-व्यग्रता-उद्विग्नता से रहितता। एकाग्रता, स्थिरता, निश्चिंतता। . अनाक्रान्त-जो आक्रान्त या दबा हुआ न हो। अनात्मा-आत्मा से विहीन शरीरादि जड़ पदार्थ। . अनाथ-स्वामी (मालिक या माता-पिता) से रहित, आश्रयरहित। अनाथता-जो संयम ग्रहण करके पर-पदार्थों, कामभोगों एवं सुख-सुविधाओं के आश्रित हो गये हैं, उनकी वृत्ति-प्रवृत्ति। अनामय-रोग-व्याधि से रहित। स्वस्थ, निरोग। अनादिकरण-धर्म, अधर्म और आकाशद्रव्यों के परस्पर व्याघात के बिना सदा एक साथ अवस्थान। अनादेय-जिसके वचन युक्तिसंगत होने पर भी अशुभ नामकर्म के उदय से प्रामाणिक या आदरणीय न माने जायें, शिरोधार्य न हों। अनुगम-सूत्र की व्याख्या, सूत्र के अर्थ का स्पष्टीकरण, अन्वय, अनुसरण, जानना, ठीक-ठीक निश्चय करना, समझना।। __ अनुगामिक (अवधिज्ञान)-(जो ज्ञान) जीव के अन्य क्षेत्र में जाने पर भी अथवा दूसरे जन्म में भी साथ चलता है, ऐसा अवधिज्ञान। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004250
Book TitleKarm Vignan Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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