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________________ * विषय-सूची : प्रथम भाग * २७९ * आक्षेप : पुनर्जन्म की मान्यता अवैज्ञानिक ८६, पुनर्जन्म-सिद्धान्त स्वकृत कर्म और पुरुषार्थ का प्रतिपादक ८७, इन विलक्षणताओं का कारण पूर्वजन्मकृत कर्म ही है ८७, पुनर्जन्म-सिद्धान्त का आधार ८७, पुनर्जन्म-सम्बन्धी मिथ्या मान्यता और भ्रान्ति ८८, पुनर्जन्म के सिद्धान्त की दार्शनिक पृष्ठभूमि ८८-८९। (५) परामनोवैज्ञानिकों की दृष्टि में पुनर्जन्म और का पृष्ठ ९० से १00 तक परोक्षज्ञानियों का हार्दिक सन्तोषजनक समाधान नहीं ९0, परामनोवैज्ञानिकों द्वारा इस सम्बन्ध में अनुसन्धान और प्रयोग ९०, पूर्वजन्म की साक्षी : सभी धर्मों के बालकों की पूर्वजन्म-स्मृति ९०, पुनर्जन्म को प्रत्यक्षवत सिद्ध कर दिया परामनोवैज्ञानिकों ने ९१. परामनोवैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तत चार तथ्य ९१. पुनर्जन्म की सिद्धि के साथ आत्मा और कर्म का अनादि अस्तित्व भी सिद्ध ९२, ईसाई-परिवार से सम्बद्ध पूर्वजन्म-स्मृति की घटना ९२, मुस्लिम परिवार से सम्बद्ध पूर्वजन्म-स्मृति की घटना ९३, सभी धर्मों के परिवारों में घटित घटनाएँ : पूर्वजन्म को सिद्ध करती हैं ९४, डॉ. स्टीवेन्सन द्वारा पुनर्जन्म की घटनाएँ प्रस्तुत ९५, पूर्वजन्म की स्मृति कैसे-कैसे लोगों को होती है ? ९६, 'आत्म-रहस्य' में प्रकाशित पूर्वजन्म-स्मृति की घटना ९८, नौ जन्मों की स्मृति की आश्चर्यजनक घटना ९८, जीते-जी पूर्वजन्मों का ज्ञान एवं स्मरण ९९-१00। (६) प्रेतात्माओं का साक्षात् सम्पर्क : पुनर्जन्म का साक्षी पृष्ठ १०१ से ११५ तक ___ मरणोत्तर जीवन के दो प्रत्यक्ष प्रमाण १०१, परामनोवैज्ञानिकों द्वारा पर्याप्त अनुसन्धान १0१, जैनदर्शन-सम्मत प्रेतात्मा का लक्षण एवं स्वरूप १०१, प्रेतात्मा द्वारा वैर-विरोध का प्रतिशोध १०३, प्रेतात्माओं द्वारा बदला लेने के विभिन्न तरीके १०३, तीस व्यक्तियों की साक्षीपूर्वक प्रेतात्मा के अस्तित्व का प्रत्यक्षीकरण १०४, प्रेत ने प्रत्यक्ष पर्चा देकर अपनी उपस्थिति प्रमाणित की १०५, प्रेतात्माओं द्वारा प्रिय पात्र को अदृश्य रूप से सहायता १०६, प्रेतात्मा द्वारा अपनी उपस्थिति का चिह्न १०७, अदृश्य सत्ता द्वारा मार्गदर्शन एवं सहयोग १०७, प्रेतात्मा द्वारा भावी घटना के संकेत १०८, प्रेत के माध्यम से अनेकों अविज्ञात जानकारियाँ प्राप्त १०९, प्रेतात्मा का स्वीकार : ठोस प्रमाणों के आधार पर १०९, प्रेतात्माओं का अड्डा : अमेरिका का राष्ट्रपति भवन ११०, ‘जार्ज लेथम' द्वारा आत्मा और पुनर्जन्म के ठोस प्रमाण ११0, मृतात्माओं से वार्तालाप एवं सम्पर्क : किसी माध्यम द्वारा ११0. 'मैडम ब्लैवेटस्की द्वारा प्रेतात्माओं से सम्पर्क स्थापित १११, छह प्रेतों के सहयोग से 'आर्थर' निक, कवि, लेखक एवं विद्वान् बना १११, प्रेत के माध्यम से सुकरात द्वारा सहस्रों व्यक्तियों को मार्गदर्शन १११, साहित्य-सृजन : प्रेतात्मा के सहयोग से ११२, जज दाग परलोक-विद्या का अध्ययन और तथ्योद्घाटन ११२, परलोकवाद पर विशिष्ट अध्ययन ११३, मृतात्माओं के आह्वान का अभिनव प्रयोग ११३, प्रेतात्मा ने स्वयं उपस्थित होकर अदालत में साक्षी दी ११३, प्रेतात्मा अधिकारी व्यक्ति के माध्यम से ही अभिव्यक्त होती है ११४, प्लेंचेट के माध्यम से प्रेतात्माओं का आह्वान ११४, फोटो द्वारा सूक्ष्मशरीर का अस्तित्व सिद्ध ११४, सूक्ष्मशरीर के फोटो से कर्म के अस्तित्व का प्रत्यक्ष समाधान ११५। (७) कर्म-अस्तित्व का मुख्य कारण : जगत्वैचित्र्य पृष्ठ ११६ से १३८ तक जगत् का वैचित्र्य : कर्मों के अस्तित्व का प्रबल प्रमाण ११६, सिद्ध और संसारी जीवों के अन्तर का कारण : कर्म ११६, आत्मा के शुद्ध स्वरूप में अशुद्धि का कारण : कर्म ११७, सांसारिक जीवों में विभिन्नता या विचित्रता : विजातीय तत्त्व के कारण ११८, आत्माओं में यह अशुद्धि सकारण है, अकारण नहीं ११९, अशुद्धि सजातीय पदार्थों के संयोग से नहीं आती ११९, चौदह द्वारों के माध्यम से कर्मरूप कारंण का विचार १२०, I (१) गति, (२) इन्द्रिय, और (३) काय को लेकर कर्मकारणक विषमताएँ १२0, II (४) मन-वचन-काया के योग को लेकर जीवों में विभिन्नता का कारण : कर्म १२१, III (५) वेद को लेकर जीवों में विभिन्नता का कारण : कर्म १२३. IV (E) कषाय को लेकर जीवों में तारतम्य का कारण : कर्म १२४, V कर्म ही जीवों के (७) ज्ञान, (८) संज्ञा, संज्ञित्व-असंज्ञित्वादि में अन्तर का मल कारण १२४, VI (९) संयम, (१०) दर्शन, और (११) लेश्या को लेकर जीवों में विभिन्नता भी कर्म के कारण १२५, VII (१२) भव्य, (१३) सम्यक्त्व, और (१४) आहार की अपेक्षा से कर्मकृत विभिन्नता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004250
Book TitleKarm Vignan Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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