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ॐ वचन-संवर की सक्रिय साधना ॐ १६१ *
महिला ने संत की आज्ञा शिरोधार्य की और कहा-“यदि पतिदेव की सिगरेट फॅकने की आदत छूट जाती हो तो मुझे उनसे कहने की आवश्यकता ही क्या है?"
परन्तु तीन दिन बीते होंगे कि वह महिला सन्त के पास पहुंची और विवशतापूर्वक बोली-“महाराज ! आप मुझे और कोई खाने-पीने की चीज छोड़ने का प्रत्याख्यान दिला दीजिए, उनको टोकना बंद करने की बात मुझसे नहीं हो सकेगी। मेरी जबान वश में नहीं रहती। जब मैं अपनी आँखों के सामने इन्हें एक के बाद एक सिगरेट फूंकते देखता हूँ तो मुझसे चुप नहीं बैठा जाता। मैं इन्हें न टोकूँ, यह मुझसे नहीं हो सकता।" संत ने मुस्कराते हुए कहा-“बहन ! माफ करना; सिर्फ तीन साल से आप टोकने की आदत को नहीं छोड़ सकतीं तो वर्षों से जिसकी सिगरेट पीने की आदत है, वह तुरंत ही छोड़ दे, ऐसी आशा रखना व्यर्थ है। मैं तो कहता हूँ किसी की पड़ी हुई किसी बुरी आदत की अपेक्षा, उसे बार-बार टोकने की आदत अधिक भयंकर है और अशुभ कर्मबन्धक है।" वास्तव में बार-बार टोकने या टक-टक करने की आदत वाले को मिथ्याभिमानवश अपनी आदत बुरी है, इससे अपना और दूसरे का-दोनों का भयंकर अहित है, यह बात ध्यान में ही नहीं आती। अतः वाक्-संवर करने के इच्छुक आत्म-हितैषी को किसी की भूल पर तुरंत मुखरूपी रेडियो स्टार्ट नहीं करना चाहिए। यह टक-टक का ही एक प्रकार है, टकोर नहीं है। तुरंत भूल बताने से सामने वाले के मन में उसके प्रति घृणा एवं तिरस्कार की वृत्ति जागती है, जो आगे चलकर वैर का विकराल विषवृक्ष बन सकता है।
वाक्-संवर के इच्छुक को तुरन्त वहीं पर नहीं कहना चाहिए मान लो, आपके किसी निकट सम्बन्धी, रिश्तेदार या पारिवारिक जन अथवा नौकर ने कोई बड़ी भूल की। आपको लगता है कि उसे उसकी भूल तुरंत बताकर उसे उचित परामर्श देकर टकोर करने की आवश्यकता है, फिरं भी यदि आप वाक्-संवर के इच्छुक हैं तो तुरंत उसे कुछ भी मत कहिये। दो-चार घंटे, दो-चार दिन अथवा दो-चार महीने बीतने दीजिये, फिर यथावसर यथापात्र उसे कहना उचित समझें तो कहिये, परन्तु एक ही बार, थोड़े शब्दों में, मधुरता के साथ कहिये। कालक्षेप करके फिर किसी आत्मीय की भूल बताने से वह प्रवृत्ति तिरस्कार और घृणायुक्त नहीं होती, उसके पीछे भूल बताने वाले का अहंकार नहीं हो तो वह आत्मीयतापूर्ण प्रकटीकरण हो जाता है। यदि आप तुरंत कह देने की अपनी भूल को नहीं सुधार सकते तो सामने वाला व्यक्ति तुरंत on the spot आपके द्वारा बताई गई स्वयं की भूल को कैसे सुधार पायेगा? अतः यथावसर यथायोग्य बोलिये, जिससे उन बोले गए शब्दों का उस पर प्रभाव पड़े।
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