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® १६० * कर्मविज्ञान : भाग ७ ॐ
घातक होती है।) कठोर वाणी का प्रयोग प्रीति का विनाश करता है, जबकि कोमल वाणी का प्रयोग प्रीति बढ़ाता है।' ___ यह देखा गया है कि घड़ी रात-दिन टिक-टिक करती है, कोई उसकी टिक-टिक पर ध्यान नहीं देता, न ही टिक-टिक सुनने के लिए लालायित रहता है, जबकि घड़ी में टकोरे सीमित समय के लिए ही पड़ते हैं, जिन्हें लोग चाव से सुनते हैं, ध्यान से सुनते हैं। इसी प्रकार ठठेरे के यहाँ बर्तनों पर चाहे जितनी टक-टक होती रहे, कबूतर उससे सावधान होकर उड़ता नहीं, क्योंकि वह उस टक-टक (या ठन-ठन) की आवाज सुनने का आदी हो गया है। जबकि वही कबूतर कभी-कभी या किसी समय घंटे पर पड़ने वाली चोट (टकोर) से एकदम उड़ जाता है, सावधान होकर वहाँ से चला जाता है। मतलब यह है कि बार-बार होने वाली टक-टक पर सम्बन्धित मनुष्य ध्यान नहीं देता, जबकि कभी-कभार होने वाली टकोर (भूल के लिए प्रेम से सूचित की जाने वाली शब्दावली) पर सम्बन्धित व्यक्ति प्रायः ध्यान देता : है, लक्ष्य में लेता है और तदनुसार अपनी भूल सुधारने के लिए तैयार होता है। चैन-स्मोकर को बार-बार टक-टक करने की पत्नी की प्रवृत्ति .
एक चैन-स्मोकर था, वह थोड़ी-थोड़ी देर पर सिगरेट फूंकने का आदी था। यद्यपि सिगरेट के प्रत्येक पैकेट पर चेतावनी दी हुई रहती है-“सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।" परन्तु उस वार्निंग (चेतावनी) को सिगरेट का शौकीन क्यों मानने लगा? भगवान महावीर ने भी बार-बार चेतावनी दी है कि "जितने भी व्यसन हैं, वे सब दुःख और दुर्गति के कारण हैं। पाँचों इन्द्रियों के विषयभोग (कामभोग) अनर्थ की खान हैं।" किन्तु विषयभोगी दुर्व्यसनी जीव कहाँ इन अनर्थों से विरक्त होते हैं ? धूम्रपान का व्यसनी वह व्यक्ति भी सिगरेट पीना नहीं छोड़ सका। उसकी पत्नी पिछले तीन वर्षों से प्रतिदिन टोकती रहती थी। परन्तु पति महोदय सिगरेट पीने की चेतावनी की सुनी-अनसुनी करते रहे। डॉक्टर ने उसे गंभीर रूप से चेतावनी दी कि अगर वह सिगरेट पीना बंद न करेगा तो उसकी जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी। डॉक्टर की अन्तिम चेतावनी सुनकर पत्नी ने मन ही मन फैसला कर लिया कि कुछ भी हो, पति को बार-बार टोकूँगी तो सिगरेट छोड़ देगा, परन्तु उसकी यह आशा भी निरर्थक साबित हुई। बार-बार टोकने से उसके पति ढीठ हो गए। आखिर वह एक प्रभावशाली संत के पास अपनी फरियाद लेकर पहुँची। संत ने सारी बात सुनकर कहा-"बहन ! मैं तुम्हारे पति की इस आदत को छुड़ा सकता हूँ, बशर्ते कि तुम उसे सिगरेट छोड़ने के लिए बार-बार कहना बिलकुल बंद कर दो। तुम्हारी टक-टक बंद करके आज से पन्द्रहवें दिन मुझसे मिलना।" उस १. 'हंसा ! तू झील मैत्री सरोवर में' से भाव ग्रहण
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