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औपशमिकादि पांच भावों से मोक्ष की ओर प्रस्थान ४९७
सान्निपातिक भाव के विविध संयोगी छब्बीस भेद . चूँकि सानिपातिक भाव औपशमिक आदि पांच भावों में से दो, तीन, चार या पांच भावों के मिलने से होता है। इस अपेक्षा से दो भावों के मेल से होने वाला सानिपातिक द्विक-संयोग, तीन भावों के मेल से होने वाला त्रिकसंयोग, चार भावों के मेल से होने वाला चतुस्संयोग और पांच भावों के मेल से होने वाला पंच-संयोग कहलाता है। इसका रेखाचित्र इस प्रकार है
द्विक संयोग के दस भेद हैं१. औपशमिक + क्षायिक २. औपशमिक + क्षायोपशमिक ३. औपशमिक + औदयिक ४. औपशमिक + पारिणामिक ५. क्षायिक + क्षायोपशमिक ६. क्षायिक + औदयिक ७. क्षायिक + पारिणामिक ८. क्षायोपशमिक + औदमिक ९. क्षायोपशमिक + पारिणामिक १०. औदयिक + पारिणामिक
चतुःसंयोग के पांच भेद हैं
त्रिक संयोग के दस भेद हैं१. औपशमिक + क्षायिक + क्षायोपशमिक २. औपशमिक + क्षायिक + औदयिक ३. औपशमिक + क्षायिक + पारिणामिक ४. औपशमिक + क्षायोपशमिक + औदयिक ५. औपशमिक + क्षायोपशमिक + पारिणामिक ६. औपशमिक + औदयिक + पारिणामिक ७. क्षायिक + क्षायोपशमिक + औदयिक ८. क्षायिक + क्षायोपशमिक + पारिणामिक
९. क्षायिक + औदयिक + पारिणामिक | १०. क्षायोपशमिक + पारिणामिक + औदयिक
पंचसंयोग का एक भेद
. १. औपशमिक + क्षायिक + क्षायोपशमिक + औदयिक | औपशमिक + क्षायिक +
२. औपशमिक + क्षायिक + क्षायोपशमिक + पारिणामिक क्षायोपशमिक + औदयिक .. ३. औपशमिक + क्षायिक + औदयिक + पारिणामिक + पारिणामिक। इन पांचों के
४. औपशमिक + क्षायोपशमिक + औदयिक + पारिणामिक संयोग से निष्पन्न। .. ५. क्षायिक + 'क्षायोपशमिक + औदयिक + पारिणामिक
इस प्रकार सान्निपातिक भाव के कुल १० + १० + ५ + १ = २६ भेद होते हैं
।
१.. (क) कर्मग्रन्थ भा. ४, गा. ६४, ६५, ६६, विवेचन (पं. सुखलालजी) पृ. १९६ से
२०४ । (ख) कर्मग्रन्थ भा. ४ विवेचन (मरुधरकेसरीजी) पृ. ३३३ से ३४० तक (ग) शुद्धभावाः पंचैवेते कर्मप्रकृतीनामुदयः शान्तावस्था- परित्यागेनोदीरणावलिकाम
तिक्रम्य उदयावलिकायामात्मीयरूपेण विपाक इत्यर्थः। -स्थानांग वृत्ति स्था. ६
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