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मार्गणास्थान द्वारा संसारी जीवों का सर्वेक्षण - १ १९९
कहाँ-कहाँ काया रूपी पुल है? और इन्द्रियों का आकर्षण या प्रलोभन है ? कहाँ नोकषाय रूपी खड्डे हैं? कहाँ उपशान्त-मोह की फिसलनभरी मुलायम भूमि है? सर्वेक्षण करने के लिए मिले हुए ज्ञान और उपयोग का कहाँ, किसको कितना सहारा है ? कहाँ विविध बन्धों का भय है ? और कहाँ संयम के सहारे आगे गति - प्रगति की जा सकती है? मृगयिता जीव इंजीनियर पूर्वोक्त चारों प्रकार के मार्गणारूपों के माध्यम से विभिन्न जीवों की अवस्थाओं का नापजोख कर सकता है।
मार्गणा और मार्गणास्थान का अर्थ, फलितार्थ और परिभाषा - अतः सर्वप्रथम मार्गणा और मार्गणास्थान का स्वरूप समझना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है।
मार्गणा का सामान्यतया अर्थ होता है- अनुसन्धान, खोज, अन्वेषण, विचारणा, गवेषणा आदि। इसीलिए मार्गणा के एकार्थवाचक शब्दों के नाम धवला आदि में प्रतिपादित किये हैं, यथा- ऊहा, ईहा, अपोहा, मार्गणा, गवेषणा, अन्वेषण, मीमांसा आदि । इसके फलितार्थ को हम आध्यात्मिक सर्वेक्षण कह सकते हैं। जैसे कि धवला में कहा गया है-जिन-प्रवचन - दृष्ट जीव (चौदह प्रकार के जीवस्थान) जिन भावों के द्वारा, जिन विविध पर्यायों (अथवा अवस्थाओं) में (उनके विविध कारणों के माध्यम से) अनुमार्गण किये जाते हैं, खोजे जाते हैं, उन्हें मार्गणा कहते हैं। जीवों की विविध स्वाभाविक - वैभाविक अवस्थाओं की जिनके माध्यम से मार्गणा - अन्वेषणा की जाती है, ऐसी मार्गणाएँ कर्मशास्त्र में १४ बताई गई हैं। इसीलिए मार्गणा के उन स्थानों को मार्गणा-स्थान कहते हैं, अर्थात् संसारी जीवों में पाये जाने वाले गति, इन्द्रिय, काय, योग, उपयोग, वेद, कषाय, ज्ञान आदि विचारणीय अन्वेषणीयसर्वेक्षणीय स्थानों (विषयों) को मार्गणा स्थान कहते हैं।
मार्गणा का उद्देश्य और मार्गणास्थानों का प्रतिफल
संसारस्थ जीव अनन्त हैं। वे अनन्त जीव कर्मयुक्त होकर जन्म-मरणादि रूप संसार में परिभ्रमण करते रहते हैं । फिर भी जीव (आत्मा) के ज्ञान, दर्शन, सुख और
१. (क) कर्मग्रन्थ भा. ४, विवेचन ( मरुधरकेसरी), पृ. ११
(ख) धवला १/१/१/२,
(ग) षट्खण्डागम. १३/५/५/३८,
- गो. जी. (जी. प्र.)
(घ) यकाभिः यासु वः जीवाः मृग्येत सा मार्गणाः । (ङ) जाहि व जासु व जीवा मग्गिज्जंते जहा तहा दिट्ठा। ताओ चोद्दसजाणे सुदणाणेण - पं. सं. (प्रा.) १ / ५६
मग्गणाओ ति ।
(च) चतुर्दशानां जीवस्थानानां गुणस्थानानामित्यर्थः । तेषां मार्गणागवेषणमन्वेषण
I
मित्यर्थः ।
- धवला १/१/१, २ / १३१
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