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मनःसंवर का महत्त्व, लाभ और उद्देश्य ८११
मन की शक्ति से मानसिक कल्पना द्वारा किसी भी वस्तु का चित्र लेना
एक अमेरीकी नागरिक 'टेड सेरियस' का मन इतना शक्तिशाली एवं अकल्पनीय क्षमतायुक्त है कि वह कैमरे के लेन्स में दृष्टि करके जिस वस्तु की या दृश्य की मन में कल्पना करता है, उसका हूबहू फोटो क्लिक करने पर कैमरे में आ जाता है। अमेरिका में बैठे-बैठे उसने लाल किले के बुलन्द दरवाजे के हूबहू फोटो खींचे हैं, जैसे कि वे हैं। इतना ही नहीं, उसने नेपोलियन बोनापार्ट के समय के चित्र भी खींचकर दिखाये हैं, जिन्हें पुरातत्त्ववेत्ताओं ने सही बताये हैं। डेनबर' के मनोवैज्ञानिक 'डॉ.जले आइसेनबेड' की एक कमेटी ने इनके वस्तु तत्त्व की जाँच की और सही पाये जाने पर उपलब्ध प्रमाणित घटनाओं को सन् १९६७ में 'दि वर्ल्ड ऑफ टेड सेरियस' के नाम से प्रकाशित कराया।
स्टानफोर्ड के वैज्ञानिकों ने तो चारों ओर ऐसे व्यवधान एवं लौह आवरण तक खड़े किये कि रेडियो तरंगें भी प्रवेश न कर सकें, तब भी 'टेड सेरियस' ने मानसिक कल्पना से चित्र उतार दिये। वह मानसिक तन्मयता तथा प्रगाढ़ एकाग्रता से जिस वस्तु का मन ही मन ध्यान करता है, उस स्थिति में कैमरे को उसकी आँखों में फोकस करके चित्र लिया जाता है, वह चित्र उसके चेहरे या अँखों का न आकर, उसी वस्तु का आता है; जिसका ध्यान करता है। मन की प्रचण्ड शक्ति से भौतिक की तरह आध्यात्मिक पदार्थ प्रभावित
प्रो. ऐलीशाग्र ने भी अपनी पुस्तक 'मिरैकिल्स ऑफ नेचर' में मन की उक्त प्रचण्ड सामर्थ्य का समर्थन किया है और उसे ज्ञात शक्तियों में सबसे अधिक प्रबल बताया है। 'डॉ. लुइस क्राउन' ने लिखा है कि ताप विद्युत् आदि भौतिक शक्तियाँ तो केवल भौतिक पदार्थों को अमुक सीमा तक ही प्रभावित करती हैं, किन्तु मानसजन्य विचार-विद्युत् व्यापकरूप से सारे (भौतिक एवं आध्यात्मिक) वातावरण को प्रभावित कर सकती हैं। 'ऑप्टन सिक्लेयर' नामक मनोविज्ञान-लेखक ने अपनी पुस्तक मेंटल रेडियो' में लिखा है कि प्रत्येक मनुष्य का मस्तिष्क एक सशक्त मानसिक वायरलेस सेट है। वह बिना किसी
भौतिक माध्यम के अपने एकाग्र मन से उत्पन्न विचार आसानी से दूसरों तक पहुँचा * सकता है। साथ ही स्वयं का मन-मस्तिष्क उत्कृष्ट विचार-प्रवाहों, तथा दिव्य-सन्देशों के लिए खुला रखकर अपना पूर्ण आत्मविकास कर सकता है।
यह है मन की अगाध शक्ति का चमत्कार! जिसे चाहे तो मनुष्य भौतिक विकास के कार्यों में लगा सकता है और चाहे तो आध्यात्मिक विकास कार्यों में लगा सकता है। मन की अपार शक्ति का मनुष्य ध्वंसात्मक कार्य में भी उपयोग कर सकता है, और सृजनात्मक कार्यों में भी। मंत्रों की शक्ति मन द्वारा मनन-जपन की ही तो शक्ति है, जिसके १. अखण्ड ज्योति जनवरी १९७८ से साभार उद्धृत पृ. १३
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