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६२ कर्म-विज्ञान : भाग-२ : उपयोगिता, महत्ता और विशेषता (४) फलतः सहयोग और उदारता की उन सभी प्रवृत्तियों का अन्त हो जाता है, जिनमें मनुष्य को कुछ त्याग और कष्ट उठाना पड़ता है। परियार और समाज में नैतिकता के प्रति अनास्था का दुष्परिणाम
नैतिकता की दृष्टि से सोचा जाए तो परिवार और समाज का ऋण व्यक्ति पर कम नहीं है। माता-पिता और बुजुर्गों की सहायता से व्यक्ति का पालन-पोषण होता है, वह स्वावलम्बी बनता है; इस प्रकार पितृऋण भी है। नैतिकता का तकाजा है कि पति-पली दोनों में से किसी के प्रति अरुचि हो जाने पर भी उसकी पिछली सद्भावना और सत्कार्य के लिए ऋणी रहने तथा निबाहने को तत्पर रहना चाहिए। सन्तान के प्रति माता-पिता को
और सन्तान को माता-पिता के प्रति पूर्ण वफादारी और कर्तव्यनिष्ठा रखना आवश्यक है। मनुष्यमात्र में अपने जैसी ही आत्मा समझकर न्याय, नीति, ईमानदारी, सहानुभूति
और सद्भावना रखनी चाहिए। कर्मसिद्धान्त नैतिकता के इन सूत्रों के अनुसार आचरण करने, न करने का सुखद-दुःखद फल प्रायः हाथोंहाथ बता देता है। भौतिकतावादी नैतिकताविरुद्ध अतिस्वार्थी ___नैतिकता के इन आदर्शों के विरुद्ध वर्तमान भौतिकता की चकाचौंध में पलने वाले लोग सीधा यों ही कहने लगते हैं-"हमें परिवार से, समाज से या माता-पिता से क्या मतलब? हम क्यों दूसरों के लिए कष्ट सहें ? क्यों अपने आपको विपत्ति में डालें ? ईश्वर, धर्म, नीति, परलोक, कर्म, कर्मफल, आदि सब ढोंग हैं; पूँजीपतियों और उनके एजेंटों की बकवास है। इनको मानने न मानने से कोई अन्ता नहीं पड़ता। इन्हें मानने से कोई भौतिक या आर्थिक लाभ नहीं है।" इस अनैतिकता का दूरगामी परिणाम
इस अनैतिकता के प्रभाव की कुछ झांकी इंग्लैण्ड के प्रख्यात पत्र 'स्पेक्टेटर' में कुछ वर्षों पूर्व एक लेख में दी गई थी। उसमें उस देश के वृद्ध व्यक्तियों की दयनीय देशा का विवरण दिया था कि "इस देश के अधिकांश वृद्धजन अपनी असमर्थ स्थिति में सन्तान की रत्तीभर भी सेवा, सहानुभूति नहीं पाते। अतः वे इस प्रकार करुण विलाप करते हैं कि "हे भगवान् ! किसी तरह मौत आ जाए तो चैन मिले।" पर उनकी पुकार कोई भी नहीं सुनता। दुःखित-पीड़ित वृद्धजनों का यह वर्ग द्रुतगति से बढ़ता जा रहा है।" वृद्धों द्वारा आत्महत्या : उनकी ही अनैतिकता उन्हें ही भारी पड़ी
'कोरोनर' (लन्दन) के 'डॉक्टर मिलन' को पिछले दिनों ७00 दुर्घटनाग्रस्त मृतशवों का विश्लेषण करना पड़ा। उनमें एक तिहाई आत्महत्या के कारण मरे थे। इन आत्महत्या करने वालों में अधिकांश ऐसे बूढ़े लोग थे, जिन्हें बिना किसी सहायता के
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