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कर्म-महावृक्ष के सामान्य और विशेष फल ? ३६९
प्रश्न २९. भगवन्! मनुष्य को फांसी की सजा किस पापकर्म के कारण मिलती
उत्तर २९. गौतम! जिसने पूर्वभव में अनेक जलचर जीवों का वध किया हो, उसे उक्त पाप कर्म के उदय से फांसी की सजा मिलती है।
प्रश्न ३०. भगवन्! कोई व्यक्ति अपने माता-पिता आदि को तथा अन्य संसारी जीवों को प्रिय नहीं लगते, यह किस पापकर्म का फल है ?
उत्तर ३०. गौतम! जिस व्यक्ति ने पूर्वजन्म में विकलेन्द्रिय (दो, तीन या चार इन्द्रियों वाले) जीवों का जान-बूझकर वध किया हो, वह व्यक्ति इस जन्म में सबको अप्रिय लगता है।
प्रश्न ३१. भगवन्! तरुण अवस्था में पत्नी वियोग किस पाप के कारण होता है ? उत्तर ३१. गौतम ! जिस पुरुष ने बलात्कारपूर्वक कामभोग- सेवन किया हो वह जवानी में पत्नी-वियोगरूप पाप फल प्राप्त करता है।
प्रश्न ३२. भगवन्! तरुण अवस्था में स्त्री को पति का वियोग किस पापकर्म के कारण होता है ?
उत्तर ३२. गौतम ! जो स्त्री अपने पति के साथ संयोग के लिए मोहन, वशीकरण, उच्चाटन आदि मंत्रों या औषधियों का प्रयोग करती है, उसे इस अनिष्ट कर्मवश तरुणाई में पतिवियोग प्राप्त होता है।
प्रश्न ३३. भगवन्! पूर्वकृत किस पापकर्म के उदय से मनुष्य पराधीन, गुलाम एवं दास होकर रहते हैं ?
उत्तर ३३. गौतम ! जो करोड़पति, राजा, योद्धा, शस्त्रधारी एवं महाबली न होते हुए अपने आप को करोड़पति, राजा, योद्धा एवं महाबली बताता है, महाबली आदि होने का अहंकार करता है, वह मनुष्य उक्त पापकर्म के फलस्वरूप पराधीन, गुलाम एवं दास होकर रहता है।
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प्रश्न ३४. भगवन्! किस पापकर्म के उदय से बचपन में ही माता-पिता मर जाते
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• उत्तर ३४. गौतम! जो व्यक्ति पशु-पक्षियों के बच्चों के माँ-बाप को निर्दय होकर गार डालते हैं, वे अगले जन्म में माता-पिता का जरा भी सुख नहीं पाते। ऐसे बालक माता-पिता के वियोग में रो-रोकर दुःखी होते हैं।
(क) लघु गौतम पृच्छा (भाषान्तर) से (ख) गौतम पृच्छा (पद्यानुवाद) से
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