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कर्म-महावृक्ष के सामान्य और विशेष फल ? ३६७ उत्तर १८. गौतम! जो स्त्री ऊपर से तो सती (पतिव्रता) कहलाती है, परन्तु भीतर ही भीतर पति के साथ कपट करके परपुरुष के साथ रमण करती है। पति का अपमान करने में चूकती नहीं है; वह स्त्री उक्त पाप के फलस्वरूप बालविधवा हो जाती
प्रश्न १९. भगवन्! कोई स्त्री वेश्या किस पापकर्म के उदय से होती है ?
उत्तर १९. गौतम! उत्तम कुल की जो विधवा नारी सास-ससुर आदि की लज्जावश अनिच्छा से शील पालन करती है, मगर उसके मन में विषयभोग-सेवन करने की तीव्र अभिलाषा होती है; ऐसी स्त्री उक्त गुप्त मानसिक पाप के कारण मर कर आगामी जन्म में वेश्या होती है।
प्रश्न २0. भगवन्! किसी पुरुष की स्त्रियाँ बार-बार थोड़े-थोड़े समय के अन्तर पर मर.जाती हैं, किस पापकर्म के उदय से ऐसा होता है ?
उत्तर २०. गौतम! जो मनुष्य गुरुदेव से लिये हुए त्याग, प्रत्याख्यान, व्रत, नियम को भंग कर देता है, तथा चरती हुई गायों और भैंसों को निर्दयतापूर्वक जोर से पीटता है, उस मनुष्य की स्त्रियाँ उक्त पापकर्म के फलस्वरूप बार-बार थोड़े-थोड़े समय के बाद मर जाया करती हैं।
प्रश्न २१. भगवन्! किसी व्यक्ति के शरीर में कीड़े किस पापकर्म के कारण पड़ जाते हैं?
उत्तर २१. गौतम! जो मनुष्य मछली, कैंकड़े आदि मूक जीवों को बेरहमी से तड़पा-तड़पाकर मारते हैं और खुश होकर खाते हैं, या खूब खाये हों, ऐसे व्यक्ति के शरीर में उक्त पापकर्म के फलस्वरूप कीड़े पड़ जाते हैं। ... प्रश्न २२. भगवन्! किस दुष्कर्म के कारण कई-कई विवाह करने पर भी इन्सान को पुत्र की प्राप्ति नहीं होती और वह पुत्रहीन होकर ही मर जाता है ? _ उत्तर २२. गौतम! जो व्यक्ति रास्ते में खड़े हरे-भरे वृक्षों को कटवता है, उसे उस दुष्कर्म का फल आगामी जन्म में निष्पुत्र होने के रूप में मिलता है।
प्रश्न २३. भगवन्! किस घोर पापकर्म के उदय में मनुष्य के शरीर में एकाएक सोलह भयंकर रोग उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे वह तथा उसके परिजन भी दुःखी होते हैं ? - उत्तर २३. गौतम! जो दुष्ट मनुष्य दुर्भावना से प्रेरित होकर ग्राम नगर/नगरी में आग लगाकर उसे भस्म कर डालता है, ऐसा पापी मानव उक्त पापकर्म के फलस्वरूप सोलह भंयकर रोगों से आक्रान्त होता है।
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