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प्रेतात्माओं का साक्षात और सम्पर्क : पुनर्जन्म का साक्षी ११५
प्रकार के फोटो में मरते हुए व्यक्ति के शरीर की कोई आकृति शरीर से निकलती है और बाहर जाती दिखाई देती है। इस प्रयोग ने आध्यात्मिक क्षेत्र में और विशेषतया पूर्वजन्म को प्रत्यक्ष सिद्ध करने में अभूतपूर्व क्रान्ति ला दी है। वह सूक्ष्मतर शरीर जैन कर्म-विज्ञान के अनुसार तैज्स युक्त कार्मण शरीर ही है। और तैजस् युक्त कार्मण शरीर ही कर्मों के अस्तित्व का प्रमाण है। फलतः कार्मण शरीर द्वारा यानी कृतकर्मों के विपाक के रूप में अगले जन्म में प्रवेश की बात भी स्वतः सिद्ध हो जाती है। '
सूक्ष्म शरीर के फोटो से कर्म के अस्तित्व का प्रत्यक्ष समाधान
सूक्ष्म शरीर के फोटो लेने की सफलता ने अब तर्क, युक्ति, अनुमान और आगम प्रमाण की परोक्ष जगत् की सीमा को बहुत पीछे छोड़ दिया। अब तो प्रेतविद्याविशारदों, परामनोवैज्ञानिकों एवं सूक्ष्म शरीर चित्रांकनकलाकारो ने प्रत्यक्ष जगत् की सीमा में पुनर्जन्म, पूर्वजन्म, आत्मा और कर्म के अस्तित्व का प्रत्यक्षवत् समाधान कर दिया है। सूक्ष्म शरीर के फोटो लेने में सफलता के कारण पुनर्जन्म और कर्म का अविनाभाव सम्बन्ध मानने में भी किसी को कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। इस दृष्टि से पूर्वजन्म और पुनर्जन्म कर्म के अस्तित्व के मूल आधार मानने में कोई भी बाक युक्ति या प्रमाण नहीं है।
१ अखण्ड ज्योति, नवम्बर ७६ में प्रकाशित घटना से पृ. ५८ २ वही, पृ. ५९
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