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________________ - ५. १०० ] भावप्राभृतम् 'जानुदेशादधःस्पर्शश्चेत्येवं बहवो मताः । लोकसंयमवैराग्यजुगुप्साभवभीतिजाः ॥१०॥ ज्ञात्वा योग्यमयोग्यं च द्रव्यं क्षेत्रत्रयाश्रयं । चरत्येवं प्रयत्नेन भिक्षाशुद्धियुतो यतिः ॥ ११ ॥ सच्चित्तभत्तपाणं गिद्धी दप्पेणऽधी पभुत्तूण | पत्तोस तिब्वदुक्खं अणाइकालेण तं चित्त ॥ १००॥ सचित्तभक्तपानं गृद्ध्या दर्पेण अधीः प्रभुज्य । प्राप्तोसि तीव्रदुःखं अनादिकालेन त्वं चित्त ! ॥१००॥ ( सच्चित्तभत्तपाणं ) सचित्तभक्तपानमप्रासुकभोजनजलादिकं । ( गिद्धी ) दप्पेणगृद्धघातिकांक्षया दर्पेण उत्कटत्वेन । ( अंधी ) बुद्धिहीन: । ( पभुत्तूण ) प्रकर्षेण भुक्त्वा ( पत्तोसि तिव्वदुक्खं ) प्राप्तोऽसि प्राप्तो भवसि किं तत् ? तिब्वदुक्खं - तीव्रमसातं नरकादिदुःखमित्यर्थः । कियत्पर्यन्तं दुःखं प्राप्तोऽसि ? ( अणाइकाले ) अनादिकालेन आसंसारं यावत् । कः प्राप्तो दुःखं ? ( तं ) त्वं भवान् । हे ( चित्त ) हे आत्मन् ! | हाथका ग्रास झपट ले जाना । इस समय साधु विचार करते हैं कि देखो संसार कितना दुःखमय है जहाँ क्षुधा से पीड़ित हुए जन्तु आहार की घात में निरन्तर लीन रहते हैं ।। ५- १० ॥ ज्ञात्वा - क्षेत्र काल अथवा भावके आश्रय रहने वाला यह द्रव्य योग्य है अथवा अयोग्य है ऐसा जानकर भिक्षा शुद्धिसे युक्त मुनि प्रयत्न- पूर्वक अपनी चर्या करता है || ११ || ४७७ गाथार्थ - हे आत्मन् ! तूने बुद्धि से हीन होकर - विवेक छोड़कर आहारकी तीव्र इच्छा अथवा अहंकारके वश सचित्त अन्न पान ग्रहण किया है इसीलिये अनादि कालसे तीव्र दुःखको प्राप्त हो रहा है || १०० ॥ विशेषार्थ - हे आत्मन् ! तूने अज्ञानी दशामें भोजनकी लंपटता और अपनी बलिष्टता के गर्वसे अप्रासुक भोजन तथा जल आदिका बार-बार उपभोग कर अनादि कालसे नरकादि गतियों में तीव्र दुःख प्राप्त किया है, अब मुनि अवस्था में विवेक पाकर भी तेरा उक्त दोष दूर नहीं हुआ तो तुझे फिर उसी प्रकार के दुःख उठाने पड़ेंगे, अतः सचित्त अन्नपानका दोष मत लगा ॥ १०० ॥ १. देहा म० । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004241
Book TitleAshtpahud
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorShrutsagarsuri, Pannalal Sahityacharya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2004
Total Pages766
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, Principle, & Religion
File Size13 MB
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