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गाथा शुद्ध जीव स्वभाव को जानने की प्रेरणा जीव का सद्भाव मानने वाले ही सिद्ध होते हैं आत्मा का लक्षण पांच प्रकार के ज्ञान की भावना करने का उपदेश भावरहित श्रुत किस काम का है ? द्रव्य से सभी नग्न है भाव रहित नग्नत्व दुःख का कारण है मात्र नग्नत्व से क्या होने वाला है ? अभ्यन्तर दोषों का त्याग कर यथार्थ जिनलिङ्ग को प्रकट करने की प्रेरणा सदोष मुनि नट श्रमण है द्रव्यलिङ्गी मुनि बोधि को प्राप्त नहीं होता भावलिङ्ग-पूर्वक द्रव्यलिङ्गी प्रकट होता है भाव रहित मुनि तिर्यग्गति के दुःख का पात्र होता है। बोधि को दुर्लभता बोधि को कौन प्राप्त होता है ? तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध कौन करता है ? बारह प्रकार के तप का वर्णन कौन सा जिनलिङ्ग निर्मल होता है ? उदाहरण पूर्वक जिनधर्म की श्रेष्ठता पुण्य और धर्म की परिभाषाएँ पुण्य, भोग का निमित्त है, कर्म क्षय का नहीं आत्मा ही धर्म है आत्मा की भावना के बिना पुण्य सिद्धि कारण नहीं है
८४-८५ शालिमत्स्य की कथा भावरहित जीवों का बाह्य त्याग निरर्थक है .८७-८९ श्रुतज्ञान की भावना की प्रेरणा
९०-९१ परीषह और उपसर्ग सहन करने की प्रेरणा ९२-९३ अनुप्रेक्षाओं तथा भावनाओं की भावना करो नौ पदार्थ तथा सात तस्व आदि की भावना तथा जीव समास और गुणस्वानों का वर्णन
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