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भावप्राभृतम्
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प्रयोगेण विहितं दोहद पूरयन्ति स्म । विद्वांसः किन्न कुर्युः । तदा सा पूर्णमनोरथा सुतपातकमसूत । मातापितरौ दष्टोष्ठं सभ्रूभंगं बद्धमुष्टिं तं दृष्ट्वा न पोषणे योग्योऽयमिति विचिन्त्य दद्विसर्जनोपायं चक्रतुः । कंसमयीं मंजूषामानीय सवृत्तकं कंसं तस्यां निघाय यमुनाप्रवाहे मुमुचतुः । कोशाम्बीपुरे मन्दोदरी नाम कल्पपाली, तया प्रवाहे मंजूषामध्ये स दृष्टः पुत्रतया पालितश्च । तपस्विनां हीनान्यपि पुण्यानि किं न कुर्युः । कैश्चिद्दिनैलंभनादिसहं वयः प्राप । आक्रीडमानो निष्कारण सकलबालकान् चपेटया मुष्ठिना दण्डादिना च प्रहारं ददाति वधपापं बध्नाति । तद्दुराचारोपलंभान् असहमाना मन्दोदरी तं तत्याज पुत्रं सोऽपि शौर्यपुरं गत्वा वसुदेवपदातिर्भूत्वा तत्सेवां करोति यावत् अत्रान्तरे जरासन्धो राजा त्रिखण्ड - मेदिनीपतिरपि कार्यशेषवान् ववृते । सुरम्यदेशे पोदनापुराधीशं सिंहरथं युद्धे बद्ध्वा य आनयति तस्मै वेशात्रं मत्सुतां कालिदसेनासंजातां 'जीवद्यशोनामानं ददामीति पत्रमालां राज्ञां समूहान् प्रति प्रेषयामास । तत्पत्रं वसुदेवो गृहीत्वा प्रवाचितवान् । निजाश्वान् सहमूत्रेण भावयित्वा तैर्बाह्य रथमारुह्य संग्रामे तं जित्वा कंसेन
कर उन्हें रथ में जोता तथा उस रथ पर आरूढ हो संग्राम में सिंह - रथको जीता तथा अपने सेवक कंससे बंधवाकर उसे जरासंध को सौंप दिया । जरासंघ संतुष्ट होकर अपनी पुत्री और आधा देश देने लगा परन्तु वसुदेव ने उस कन्याको खोटे लक्षणों वाली देखकर कह दिया कि हे देव ! मैंने सिंहरथको नहीं बांधा है, यह कार्य कंसने किया है इसलिये आपके पास भेजने वाले इस कंसके लिये ही कन्या दी जावे । यह सुनकर जरासंध ने कमका कुल जानने के लिये मन्दोदरी के पास दूत भेजा । उसे देख मन्दोदरी 'क्या मेरे पुत्रने वहाँ भी अपराध किया है ?' इस भयसे उस मंजूषाको साथ लेकर वहाँ गई । जरासंध के आगे मंजूषा रखकर मन्दोदरी ने कह दिया कि यह इसकी माता है। कांसकी मंजूषा में रखा हुआ यह बालक यमुना के जल में बहता आया था मैंने प्राप्त करके इसे पाला-पोषा और बढ़ाया तथा कांसे की मंजूषा में मिलने के कारण मैंने इसका कंस नाम रक्खा । इसे स्वभाव से हो अपनी शूरता का घमण्ड है यह बाल्य अवस्था में भी निरर्गल स्वच्छन्द था । पीछे लोगों के सैकड़ों उलाहने आने लगे, तब मैंने इसे छोड़ दिया । यह सुनकर मंजूषा से पत्र लेकर जोरसे बचवाया तथा उसे राजा उग्रसेन और पद्मावतो का पुत्र जानकर उसके लिये पुत्री और आधा राज्य दे दिया ।
१. जीवाशा नामानं क० ।
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