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ऐसे पुष्प परमात्मा के चरणों में अर्पण किये जाते है।
(पूजा करिये साची साची) प्र.339 धूप पूजा कौनसी मुद्रा में की जाती है ? उ. उत्थितांजली मुद्रा में। प्र.340 उत्थितांजली मुद्रा किसे कहते है ? उ. दोनों हाथों को एक-दूसरे के सम्मुख करने के पश्चात्, तर्जनी और मध्यम
अंगुली के बीच के अवकाश स्थान में धूप श्लाका (अगरबत्ती) खड़ी
रखने से जो मुद्रा बनती है, उसे उत्थितांजली मुद्रा कहते है। प्र.341 धूप पूजा क्यों की जाती हैं ? उ. जिस प्रकार धूप की घटा ऊपर की ओर उठती है, वैसे ही मैं उर्ध्वगामी
(मोक्षगामी) बनूं, इस हेतु से धूप पूजा की जाती हैं । प्र.342 दीपक पूजा करते समय क्या भाव होने चाहिए ? उ.. हे देवाधिदेव जिनेश्वर परमात्मा ! जिस प्रकार आपश्री ने अज्ञानरुपी
अंधकार का नाश कर केवलज्ञान रुपी दिव्य दीपक को प्रकट किया हैं,
वैसे ही मेरी आत्मा में भी केवलज्ञान का आलोक प्रगट हो। . प्र.343 चामर पूजा क्यों की जाती हैं ? उ. परमात्मा के प्रति बहुमान भाव अभिव्यक्त करने एवं नम्रता प्रदर्शित करने
हेतु चामर पूजा की जाती है। प्र.344 जल पूजा किस मुद्रा में की जाती हैं ? उ. समर्पण मुद्रा में। . . प्र.345 समर्पण मुद्रा किसे कहते हैं ? उ. दोनों हथेलियों को एकत्रित करके हाथों के बीचों बीच कलश स्थापित
+++++ +++++++++++++++++++++++++++++++++++ । चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी . .
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